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"कविता / रवीन्द्रनाथ ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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अगर प्‍यार में और कुछ नहीं
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केवल दर्द है फिर क्‍यों है यह प्‍यार ?
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कैसी मूर्खता है यह
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|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर 
कि चूंकि हमने उसे अपना दिल दे दिया
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इसलिए उसके दिल पर
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}}<poem>वे तुम्‍हें
दावा बनता है,हमारा भी
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संपदा का समुद्र कहते हैं
रक्‍त में जलती ईच्‍छाओं और आंखों में
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कि तुम्‍हारी अंधेरी गहराईयों में  
चमकते पागलपन के साथ
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मोतियों और रत्‍नों का खजाना है, अंतहीन।
मरूथलों का यह बारंबार चक्‍कर क्‍योंकर ?
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दुनिया में और कोई आकर्षण नहीं उसके लिए
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बहुत से समुद्री गोताखोर
उसकी तरह मन का मालिक कौन है;
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वह खजाना ढूंढ रहे हैं
वसंत की मीठी हवाएं उसके लिए हैं;
+
पर उनकी खोजबीन में मेरी रूचि नहीं है
फूल, पंक्षियों का कलरव सबकुछ
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उसके लिए है
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पर प्‍यार आता है
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अपनी सर्वगासी छायाओं के साथ
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पूरी दुनिया का सर्वनाश करता
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जीवन और यौवन पर ग्रहण लगाता
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फिर भी न जाने क्‍यों हमें
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तुम्‍हारी सतह पर कांपती रोशनी
अस्तित्‍व को निगलते इस कोहरे की
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तुम्‍हारे हृदय में कांपते रहस्‍य
तलाश रहती है ?
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तुम्‍हारी लहरों का पागल बनाता संगीत
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तुम्‍हारी नृत्‍य करती फेनराशि
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ये सब काफी हैं मेरे लिए
  
अंग्रेजी से अनुवाद-कुमार मुकुल
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अगर कभी इस सबसे मैं थक गया
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तो मैं तुम्‍हारे अथाह अंतस्‍थल में
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समा जाउंगा
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वहां जहां मृत्‍यु होगी
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या होगा वह खजाना।
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'''अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल
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</poem>

19:25, 23 जून 2009 के समय का अवतरण

वे तुम्‍हें
संपदा का समुद्र कहते हैं
कि तुम्‍हारी अंधेरी गहराईयों में
मोतियों और रत्‍नों का खजाना है, अंतहीन।

बहुत से समुद्री गोताखोर
वह खजाना ढूंढ रहे हैं
पर उनकी खोजबीन में मेरी रूचि नहीं है

तुम्‍हारी सतह पर कांपती रोशनी
तुम्‍हारे हृदय में कांपते रहस्‍य
तुम्‍हारी लहरों का पागल बनाता संगीत
तुम्‍हारी नृत्‍य करती फेनराशि
ये सब काफी हैं मेरे लिए

अगर कभी इस सबसे मैं थक गया
तो मैं तुम्‍हारे अथाह अंतस्‍थल में
समा जाउंगा
वहां जहां मृत्‍यु होगी
या होगा वह खजाना।

अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल