भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कभी ताप कभी तैया / गगन गिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गगन गिल |संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल }} पक...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("कभी ताप कभी तैया / गगन गिल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल | |संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
पके है पके है जी पके है | पके है पके है जी पके है | ||
− | |||
दिन रात कोई फल जी पके है | दिन रात कोई फल जी पके है | ||
− | |||
जी में गले है सड़े है फले है | जी में गले है सड़े है फले है | ||
− | |||
दिन-रात दुख जी में एक पके है | दिन-रात दुख जी में एक पके है | ||
− | |||
नींद-जाग में चले है चले है | नींद-जाग में चले है चले है | ||
− | |||
बिना पैरों वाला कोई जी चले है | बिना पैरों वाला कोई जी चले है | ||
− | |||
धुख-धुख साँस काली स्याह होवे है | धुख-धुख साँस काली स्याह होवे है | ||
− | |||
दम घुटे है कि घोंटे कोई बोलो रे | दम घुटे है कि घोंटे कोई बोलो रे | ||
− | |||
गिरे है कभी भी गिरे है | गिरे है कभी भी गिरे है | ||
− | |||
कोई ईंट आकाश से गिरे है | कोई ईंट आकाश से गिरे है | ||
− | |||
धँसे है धँसे है धँसे है | धँसे है धँसे है धँसे है | ||
− | |||
दलदल में अपनी ही पाँव अपना धँसे है | दलदल में अपनी ही पाँव अपना धँसे है | ||
− | |||
गिरे है उड़े है झड़े है | गिरे है उड़े है झड़े है | ||
− | |||
पंख माँस कभी हड्डी से झड़े है | पंख माँस कभी हड्डी से झड़े है | ||
− | |||
चढ़े है उतरे है बौराए है | चढ़े है उतरे है बौराए है | ||
− | |||
कभी ताप कभी तैया घबराए है | कभी ताप कभी तैया घबराए है | ||
+ | </poem> |
13:37, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
पके है पके है जी पके है
दिन रात कोई फल जी पके है
जी में गले है सड़े है फले है
दिन-रात दुख जी में एक पके है
नींद-जाग में चले है चले है
बिना पैरों वाला कोई जी चले है
धुख-धुख साँस काली स्याह होवे है
दम घुटे है कि घोंटे कोई बोलो रे
गिरे है कभी भी गिरे है
कोई ईंट आकाश से गिरे है
धँसे है धँसे है धँसे है
दलदल में अपनी ही पाँव अपना धँसे है
गिरे है उड़े है झड़े है
पंख माँस कभी हड्डी से झड़े है
चढ़े है उतरे है बौराए है
कभी ताप कभी तैया घबराए है