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"लक्ष्मण-रेखा / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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जानता हूं मैं।<br />
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जानता हूँ मैं।<br />

23:34, 13 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

नहीं!
आप नहीं समझा सकते मुझे
जीने का मतलब!

नहीं बता सकते
सुबह उठकर कितनी दूर टहलना
कितनी देर कसरत करना ज़रुरी है
तन्दुरुस्त रहने के लिए
खाने के लिए माँस उपयुक्त है
या साग सब्ज़ियाँ
रोने के लिए
मुनासिब जगह दफ़्तर है
या बाथरुम
मुझे समझाना मुश्किल है।

कितना मुस्कुराना चाहिए
कैमरे के सामने
और कितना
एक पुराने मित्र को देखकर।
प्रेमिका को चाहने से
बढ़ता या कम होता है
पत्नी के हिस्से का प्यार
मुझे नहीं बताया जा सकता।

शहीद कहलाने के लिए
सरहद पर मरना ज़रुरी है
एक क़ब्रिस्तान की चौकीदारी करते हुए
या फिर
मस्जिद, मंदिर या गिरजाघर में
धार्मिक होने का ढोंग करते हुए
मुझे नहीं पूछना किसी से।

जीवन के मोह
और मृत्यू के भय से बनी लक्ष्मण रेखा
नहीं खींची जा सकती
मेरे गिर्द।

किसी तानाशाह के सिंहासन पर
अपने पाँव रखकर सोने का मतलब
जानता हूँ मैं।