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"उपलब्धि / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=नोमान शौक़  
 
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<poem>
  
कोई दोष नहीं दिया जा सकता<br />
+
मैं तो
अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br />
+
बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना
 +
और चीख़ना जानता हूं
 +
मुझसे मत पूछो
 +
मेरी उपलब्धियों के बारे में
  
सरकार के पास<br />
+
मैं
धर्म होता है अध्यात्म नहीं<br />
+
मंत्री, अभिनेता
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं<br />
+
या क्रिकेट स्टार नहीं
शब्द होते हैं भाव नहीं<br />
+
मुझे इक़रार है
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं<br />
+
मैंने कोई शोध नहीं किया
शरीर होता है आत्मा नहीं<br />
+
मुझे विश्वास है
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं<br />
+
कोई मिसाइल, कोई बम
आँखें होती हैं आँसू नहीं<br />
+
नहीं बनाया मैंने
बस, मौत के आँकडे होते हैं<br />
+
यहाँ तक कि
मौत की भयावहता नहीं<br />
+
किसी प्रकाशक ने नहीं छापी
 +
मेरी कोई किताब भी
  
सब कुछ होते हुए<br />
+
हाँ  !
कुछ भी नहीं होता<br />
+
देखा है मैंने
सरकार के पास !<br />
+
एक सहमी हुई औरत से छीनकर
 +
साल भर के बच्चे को
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आग में झोंके जाते हुए
 +
लेकिन
 +
दूसरे तमाशबीनों की तरह
 +
सो नहीं गया मैं चुपचाप
 +
अपनी अन्तरात्मा का तकिया बनाकर
 +
बल्कि चीख़ता रहा
 +
चीख़ता रहा
  
मैं तो<br />
+
अगर
बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना<br />
+
तुम जाग रहे हो
और चीख़ना जानता हूं<br />
+
तो मेरी चीख़ ही
मुझसे मत पूछो<br />
+
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है !
मेरी उपलब्धियों के बारे में<br />
+
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मैं<br />
+
मंत्री, अभिनेता<br />
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या क्रिकेट स्टार नहीं<br />
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मुझे इक़रार है<br />
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मैंने कोई शोध नहीं किया<br />
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मुझे विश्वास है<br />
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कोई मिसाइल, कोई बम<br />
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नहीं बनाया मैंने<br />
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यहां तक कि<br />
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किसी प्रकाशक ने नहीं छापी<br />
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मेरी कोई किताब भी<br />
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हां !<br />
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देखा है मैंने<br />
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एक सहमी हुई औरत से छीनकर<br />
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साल भर के बच्चे को<br />
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आग में झोंके जाते हुए<br />
+
लेकिन<br />
+
दूसरे तमाशबीनों की तरह<br />
+
सो नहीं गया मैं चुपचाप<br />
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अपनी अन्तरात्मा का तकिया बनाकर<br />
+
बल्कि चीख़ता रहा<br />
+
चीख़ता रहा<br />
+
 
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अगर<br />
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तुम जाग रहे हो<br />
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तो मेरी चीख़ ही<br />
+
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है !<br />
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18:47, 26 जनवरी 2012 के समय का अवतरण


मैं तो
बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना
और चीख़ना जानता हूं
मुझसे मत पूछो
मेरी उपलब्धियों के बारे में

मैं
मंत्री, अभिनेता
या क्रिकेट स्टार नहीं
मुझे इक़रार है
मैंने कोई शोध नहीं किया
मुझे विश्वास है
कोई मिसाइल, कोई बम
नहीं बनाया मैंने
यहाँ तक कि
किसी प्रकाशक ने नहीं छापी
मेरी कोई किताब भी

हाँ  !
देखा है मैंने
एक सहमी हुई औरत से छीनकर
साल भर के बच्चे को
आग में झोंके जाते हुए
लेकिन
दूसरे तमाशबीनों की तरह
सो नहीं गया मैं चुपचाप
अपनी अन्तरात्मा का तकिया बनाकर
बल्कि चीख़ता रहा
चीख़ता रहा

अगर
तुम जाग रहे हो
तो मेरी चीख़ ही
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है !