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धर्म होता है अध्यात्म नहीं<br />
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बस, मौत के आँकडे होते हैं<br />
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मौत की भयावहता नहीं<br />
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सब कुछ होते हुए<br />
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कुछ भी नहीं होता<br />
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सरकार के पास !<br />

18:55, 26 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

कोई दोष नहीं दिया जा सकता
अपनी ही चुनी हुई सरकार को

सरकार के पास
धर्म होता है अध्यात्म नहीं
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं
शब्द होते हैं भाव नहीं
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं
शरीर होता है आत्मा नहीं
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं
आँखें होती हैं आँसू नहीं
बस, मौत के आँकडे होते हैं
मौत की भयावहता नहीं

सब कुछ होते हुए
कुछ भी नहीं होता
सरकार के पास !