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+ | मिट्टी के टीले | ||
+ | चढ़ के फिसलना | ||
+ | फूलों पे बैठी | ||
+ | तितली पकड़ना | ||
+ | हरी घास पे | ||
+ | लोटपोट होकर | ||
+ | ओस की बूँदें | ||
+ | आँखों पर मलना | ||
+ | माँ का हाथ से | ||
+ | हर कौर खिलाना | ||
+ | दूर देश की | ||
+ | कहानियाँ सुनाना | ||
+ | रात घिरे तो | ||
+ | तारों की छाँव तले | ||
+ | आँचल ओढ़ | ||
+ | माँ से लिपट सोना | ||
+ | वक़्त गुज़रा | ||
+ | हम बड़े हो गए | ||
+ | गुम हो गई | ||
+ | पुरानी निशानियाँ | ||
+ | वो शरारतें | ||
+ | नानी की कहानियाँ | ||
+ | मन चाहता | ||
+ | काश! कोई लौटा दे | ||
+ | वो बीता पल | ||
+ | छोटी-छोटी खुशियाँ | ||
+ | नन्हें सपने | ||
+ | मासूम बदमाशी | ||
+ | पर पता है- | ||
+ | फिर ऐसा न होगा | ||
+ | जो चला गया | ||
+ | लौट के नहीं आता | ||
+ | यादें सताती | ||
+ | अब यूँ ही जीना है | ||
+ | मीठी यादों के संग...। | ||
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20:10, 13 जून 2020 के समय का अवतरण
याद आते हैं
बचपन के दिन
खेलते हुए
लड़ना-झगड़ना
कुट्टी करना
फिर एक हो जाना
गुट्टी फोड़ना
गेंद-ताड़ी खेलते
गिर पड़ना
गिर के सँभलना
मिट्टी के टीले
चढ़ के फिसलना
फूलों पे बैठी
तितली पकड़ना
हरी घास पे
लोटपोट होकर
ओस की बूँदें
आँखों पर मलना
माँ का हाथ से
हर कौर खिलाना
दूर देश की
कहानियाँ सुनाना
रात घिरे तो
तारों की छाँव तले
आँचल ओढ़
माँ से लिपट सोना
वक़्त गुज़रा
हम बड़े हो गए
गुम हो गई
पुरानी निशानियाँ
वो शरारतें
नानी की कहानियाँ
मन चाहता
काश! कोई लौटा दे
वो बीता पल
छोटी-छोटी खुशियाँ
नन्हें सपने
मासूम बदमाशी
पर पता है-
फिर ऐसा न होगा
जो चला गया
लौट के नहीं आता
यादें सताती
अब यूँ ही जीना है
मीठी यादों के संग...।