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जो मेरे बोलते चुप हो जाता है | जो मेरे बोलते चुप हो जाता है | ||
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पानी में घड़ा डुबोते जो आवाज़ हो रही है | पानी में घड़ा डुबोते जो आवाज़ हो रही है | ||
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वो आख़िर कहाँ से आ रही है | वो आख़िर कहाँ से आ रही है | ||
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एक रोशनी जो मेरे ताकते धूर बन जाती है | एक रोशनी जो मेरे ताकते धूर बन जाती है | ||
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कहीं कोई न था कोई भी | कहीं कोई न था कोई भी | ||
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एक चिड़िया ढेले-सी गिरी आ रही थी | एक चिड़िया ढेले-सी गिरी आ रही थी | ||
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आसमान का पूरा बोझ लिए | आसमान का पूरा बोझ लिए | ||
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हवा डोर की तरह लिपटती लटाई पर | हवा डोर की तरह लिपटती लटाई पर | ||
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पेड़ जैसे कोई गरारा रेशम का | पेड़ जैसे कोई गरारा रेशम का | ||
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लगा जैसे बारिश हो रही है बाहर | लगा जैसे बारिश हो रही है बाहर | ||
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कि पुतलियाँ सिकुड़ गईं। | कि पुतलियाँ सिकुड़ गईं। | ||
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12:43, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कोई भी तो नहीं
पर कोई है ज़रूर
जो मेरे बोलते चुप हो जाता है
पानी में घड़ा डुबोते जो आवाज़ हो रही है
वो आख़िर कहाँ से आ रही है
एक रोशनी जो मेरे ताकते धूर बन जाती है
कहीं कोई न था कोई भी
एक चिड़िया ढेले-सी गिरी आ रही थी
आसमान का पूरा बोझ लिए
हवा डोर की तरह लिपटती लटाई पर
पेड़ जैसे कोई गरारा रेशम का
लगा जैसे बारिश हो रही है बाहर
पर धूप थी इतनी
कि पुतलियाँ सिकुड़ गईं।