भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शब्द / रसूल हम्ज़ातव / सुरेश सलिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव |अनुवादक=सुरेश सलि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
टोह में नहीं रहता मैं किसी शब्द की | टोह में नहीं रहता मैं किसी शब्द की | ||
− | कि वह आए और लिख लिख जाए | + | कि वह आए और लिख - लिख जाए |
− | मर्ज़ी जब होगी तब आएगा | + | मर्ज़ी जब होगी तब आएगा — |
− | कोई भी रोक नहीं पाएगा | + | कोई भी रोक नहीं पाएगा — |
− | अदबदा कर | + | अदबदा कर आँसू ज्यूँ आँख से छलक आए । |
यक्-ब-यक् आ उतरेगा वर्क़े पर | यक्-ब-यक् आ उतरेगा वर्क़े पर |
07:54, 11 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण
टोह में नहीं रहता मैं किसी शब्द की
कि वह आए और लिख - लिख जाए
मर्ज़ी जब होगी तब आएगा —
कोई भी रोक नहीं पाएगा —
अदबदा कर आँसू ज्यूँ आँख से छलक आए ।
यक्-ब-यक् आ उतरेगा वर्क़े पर
जैसे अगले ज़माने का कोई दोस्त
बिना इत्तिला के आ खड़ा हो दर पर
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल