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"आकाँक्षा / रसूल हम्ज़ातव / सुरेश सलिल" के अवतरणों में अंतर
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बटुए या कि थैली में न क़ैद किया जाऊँ मैं | बटुए या कि थैली में न क़ैद किया जाऊँ मैं | ||
दूर रखना लोभियों कृपणों से हर हाल में | दूर रखना लोभियों कृपणों से हर हाल में |
13:15, 5 जुलाई 2023 के समय का अवतरण
अगर किसी धातु में कभी बदला जाऊँ मैं
सिक्के न ढालना मुझसे टकसाल में
बटुए या कि थैली में न क़ैद किया जाऊँ मैं
दूर रखना लोभियों कृपणों से हर हाल में
क़िस्मत में हो ही किसी धातु में बदला जाना
ढालना कटार, मुझे भट्टी में तपाकर
म्यान में रमाकर ध्यान, भी है मुझे दिखलाना
अरि के सीने में कैसे धँसती हूँ जाकर
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल