('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= शिवजी श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{KKGlobal}} | + | {{{KKGlobal}} |
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार= शिवजी श्रीवास्तव | |रचनाकार= शिवजी श्रीवास्तव | ||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatGeet}} |
+ | {{KKCatNavgeet}} | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | मन पाँखी फिर ढूँढ रहा है | ||
+ | वे हुरियारे दिन | ||
+ | अम्मा की गुझियाँ | ||
+ | भाभी की | ||
+ | सरस ठिठोली, होली | ||
+ | शोर मचाती गली गली में | ||
+ | हुड़दंगों की टोली | ||
+ | कोई नर्म हथेली | ||
+ | हमको रंग लगा यूँ बोली | ||
+ | भूल न जाना रंग भरे ये | ||
+ | प्यारे प्यारे दिन | ||
+ | |||
+ | रूठा रूठी | ||
+ | झगड़े लफड़े | ||
+ | होली में जलते थे | ||
+ | फगुआ, चैता रसिया सुन सुन | ||
+ | सबके मन खिलते थे | ||
+ | जुम्मन मियाँ गुलाल लगाते | ||
+ | गले सभी मिलते थे | ||
+ | सपनों जैसे लगते हैं अब | ||
+ | वे उजियारे दिन | ||
+ | |||
+ | गाँव गली के छोरे छोरी | ||
+ | खूब धमाल मचाते | ||
+ | ढोल नगाड़ों की ढम ढम पर | ||
+ | ठुमके सभी लगाते | ||
+ | इतने रंग उड़ाते नभ में | ||
+ | इंद्रधनुष बन जाते | ||
+ | अल्हड़ मस्त अदाओं वाले | ||
+ | वे फगुआरे दिन | ||
</poem> | </poem> |
09:15, 2 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
{
मन पाँखी फिर ढूँढ रहा है
वे हुरियारे दिन
अम्मा की गुझियाँ
भाभी की
सरस ठिठोली, होली
शोर मचाती गली गली में
हुड़दंगों की टोली
कोई नर्म हथेली
हमको रंग लगा यूँ बोली
भूल न जाना रंग भरे ये
प्यारे प्यारे दिन
रूठा रूठी
झगड़े लफड़े
होली में जलते थे
फगुआ, चैता रसिया सुन सुन
सबके मन खिलते थे
जुम्मन मियाँ गुलाल लगाते
गले सभी मिलते थे
सपनों जैसे लगते हैं अब
वे उजियारे दिन
गाँव गली के छोरे छोरी
खूब धमाल मचाते
ढोल नगाड़ों की ढम ढम पर
ठुमके सभी लगाते
इतने रंग उड़ाते नभ में
इंद्रधनुष बन जाते
अल्हड़ मस्त अदाओं वाले
वे फगुआरे दिन