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"माँ / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर

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माँ कबीर की साखी जैसी
 
माँ कबीर की साखी जैसी
 
 
तुलसी की चौपाई-सी
 
तुलसी की चौपाई-सी
 
 
माँ मीरा की पदावली-सी
 
माँ मीरा की पदावली-सी
 
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माँ है ललित रुबाई-सी
माँ है ललित स्र्बाई-सी।
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माँ वेदों की मूल चेतना
 
माँ वेदों की मूल चेतना
 
 
माँ गीता की वाणी-सी
 
माँ गीता की वाणी-सी
 
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माँ त्रिपिटिक के सिद्ध सुत्त-सी
माँ त्रिपिटिक के सिद्ध सुक्त-सी
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लोकोक्तर कल्याणी-सी
 
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लोकोक्तर कल्याणी-सी।
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माँ द्वारे की तुलसी जैसी
 
माँ द्वारे की तुलसी जैसी
 
 
माँ बरगद की छाया-सी
 
माँ बरगद की छाया-सी
 
 
माँ कविता की सहज वेदना
 
माँ कविता की सहज वेदना
 
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महाकाव्य की काया-सी
महाकाव्य की काया-सी।
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माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
 
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
 
 
सावन की पुरवाई-सी
 
सावन की पुरवाई-सी
 
 
माँ बसन्त की सुरभि सरीखी
 
माँ बसन्त की सुरभि सरीखी
 
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बगिया की अमराई-सी
बगिया की अमराई-सी।
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माँ यमुना की स्याम लहर-सी
 
माँ यमुना की स्याम लहर-सी
 
 
रेवा की गहराई-सी
 
रेवा की गहराई-सी
 
 
माँ गंगा की निर्मल धारा
 
माँ गंगा की निर्मल धारा
 
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गोमुख की ऊँचाई-सी
गोमुख की ऊँचाई-सी।
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माँ ममता का मानसरोवर
 
माँ ममता का मानसरोवर
 
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हिमगिरि-सा विश्वास है
हिमगिरि सा विश्वास है
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माँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
 
माँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
 
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कावा है कैलाश है
कावा है कैलाश है।
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माँ धरती की हरी दूब-सी
 
माँ धरती की हरी दूब-सी
 
 
माँ केशर की क्यारी है
 
माँ केशर की क्यारी है
 
 
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
 
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
 
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माँ की छवि ही न्यारी है
माँ की छवि ही न्यारी है।
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माँ धरती के धैर्य सरीखी
 
माँ धरती के धैर्य सरीखी
 
 
माँ ममता की खान है
 
माँ ममता की खान है
 
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माँ की उपमा केवल माँ है
माँ की उपमा केवल है
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माँ सचमुच भगवान है।
 
माँ सचमुच भगवान है।
  
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-डॅा. जगदीश व्योम
-डॉ० जगदीश व्योम
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10:22, 30 नवम्बर 2023 के समय का अवतरण

माँ कबीर की साखी जैसी
तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा की पदावली-सी
माँ है ललित रुबाई-सी

माँ वेदों की मूल चेतना
माँ गीता की वाणी-सी
माँ त्रिपिटिक के सिद्ध सुत्त-सी
लोकोक्तर कल्याणी-सी

माँ द्वारे की तुलसी जैसी
माँ बरगद की छाया-सी
माँ कविता की सहज वेदना
महाकाव्य की काया-सी

माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
सावन की पुरवाई-सी
माँ बसन्त की सुरभि सरीखी
बगिया की अमराई-सी

माँ यमुना की स्याम लहर-सी
रेवा की गहराई-सी
माँ गंगा की निर्मल धारा
गोमुख की ऊँचाई-सी

माँ ममता का मानसरोवर
हिमगिरि-सा विश्वास है
माँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
कावा है कैलाश है

माँ धरती की हरी दूब-सी
माँ केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
माँ की छवि ही न्यारी है

माँ धरती के धैर्य सरीखी
माँ ममता की खान है
माँ की उपमा केवल माँ है
माँ सचमुच भगवान है।

-डॅा. जगदीश व्योम