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"औरत की ज़िन्दगी / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर

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कई कोठरियाँ थीं कतार में
 
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उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
 
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थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
 
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उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
 
उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
 
 
उसके बचपन से जवानी तक की कथा
 
उसके बचपन से जवानी तक की कथा
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20:40, 30 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

कई कोठरियाँ थीं कतार में
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया

उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
उसके बचपन से जवानी तक की कथा