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"अक्षय प्रेम-जल / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारे ही हाथों में
 
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हों अधर विचुम्बित
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वे पल दे दो.
 
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अब दूर न जाओ
 
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'''हँसके विदा देना।'''
 
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15:00, 10 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

भाव निर्मल
अक्षय प्रेम-जल
पूरित उर
दान में प्रिय दे दो
जीवन-तृषा
मिट जाए समूल
आँचल दे दो,
अधर-मधु पिला
सम्बल दे दो
बिम्ब तुम्हारा सदा
नयनों में हो
पल विकल दे दो.
प्राण -रज्जु हो
तुम्हारे ही हाथों में
अंतिम पल
अधर विचुम्बित
वे पल दे दो.
जग ने दिया दर्द
कपट-छल
आस्था शीतल दे दो.
कण्ठ लगाओ
अब दूर न जाओ
वक़्त है कम
मन की कह देना
हँसके विदा देना।