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"राजमार्ग पर / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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रात बीते जब ध्वनियाँ सब
 
रात बीते जब ध्वनियाँ सब
 
एक-एक करके सब
 
एक-एक करके सब

21:10, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

रात बीते जब ध्वनियाँ सब
एक-एक करके सब
शान्त हुई ।
राजमार्ग पर केश छितराए
घाड़ें मार-मार
कौन ?
वह कौन ?
अब विलाप करने लगा ।