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"ओ! तू था कहाँ / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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सुकून पाया | सुकून पाया | ||
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दुनिया का ना डर | दुनिया का ना डर | ||
तू न रूठना | तू न रूठना | ||
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15:35, 5 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
1
चाँदनी रात
हाथ में तेरा हाथ
प्रेम की बात
2
है तो उजाला
दुःख भी तेरे साथ
तारों की माला
3
प्यार तू मेरा
तेरी इन आँखों ने
जाने किया क्या
4
साँझ-सवेरे
हिचकियाँ दे रही
संदेश तेरे
5
न कोई बाँचा
केवल तू समझा
प्यार ये साँचा
6
निर्बल जीव
चढ़ाई-उतराई
मन-कल्पना
7
है अपना- सा
इतनी अवधि से
ओ! तू था कहाँ
8
सुकून पाया
तेरा चेहरा देखा
पहाड़ी चाँद
9
दिवस डूबा
मेरा वो मनमीत
अभी न आया
10
मन में तू है
दुनिया का ना डर
तू न रूठना
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