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"जीभर प्यार करूँ (मुक्तक) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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आँख मुँदे जब अन्तिम पल में,मैं तेरा ही दीदार  करूँ।
 
आँख मुँदे जब अन्तिम पल में,मैं तेरा ही दीदार  करूँ।
 
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धूप है, ठण्डी हवाएँ साथ हैं ।
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तुम चलोगे, साथ होंगे शूल भी
लाख दुश्मन, सब दिशाएँ साथ हैं ।
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किन्तु मिलेंगे, रास्तों में फूल भी।
पथ में बाधाएँ माना हैं खड़ीं
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कभी थका देंगे मरुथल बाट के
हमेशा शुभकामनाएँ साथ हैं।
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सामने ही हैं नदी के कूल भी।। 
 
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प्राण जब तक, हम तुम्हारे साथ होंगे ।
 
प्राण जब तक, हम तुम्हारे साथ होंगे ।

13:30, 18 अगस्त 2022 के समय का अवतरण

1
यह दुनिया तो दो पल की है, बस मैं इतना इज़हार करूँ
जो चाहे नफ़रत करता हो, मैं तुझसे जीभर प्यार करूँ।
सुख-दुख तो आते-जाते है, ये अपना फ़र्ज़ निभाने को
आँख मुँदे जब अन्तिम पल में,मैं तेरा ही दीदार करूँ।
2
तुम चलोगे, साथ होंगे शूल भी
किन्तु मिलेंगे, रास्तों में फूल भी।
कभी थका देंगे मरुथल बाट के
सामने ही हैं नदी के कूल भी।।
3
प्राण जब तक, हम तुम्हारे साथ होंगे ।
सिन्धु तक, दोनों किनारे साथ होंगे ।
कब प्रेम का जल, सूखता है धूप से
हम सदा बाहें पसारे साथ होंगे ।
4
सीख देने आ गई, इस लहर से तुम डरो।
विषबेल सींचो नहीं, इस ज़हर से तुम डरो।
प्यार दिल में है नहीं, ना सही , इतना करो
जीभ कोरोना बने, इस कहर से तुम डरो।
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