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1
 
1
आई हिचकी 
+
चाँदनी रात
अभी-अभी भाई ने 
+
हाथ में तेरा हाथ
चोटी खींची
+
प्रेम की बात
  
आई बडुळि
+
जुनाळि रात
अबि दिदा न, जन
+
हत्थ माँ तेरु हत्थ
खैंचि हो चुफ्लि
+
माया की बात।
 
2
 
2
तेरा ये नेह 
+
है तो उजाला
बिन बदरा के ही 
+
दुःख भी तेरे साथ
बरसा मेह।
+
तारों की माला
  
तेरि या माया
+
छन उजाळा
बिन बादळा क ई
+
खैरी बी त्वे दगड़
बर्खि गे पाणी
+
गैंणों की माळा
 
3
 
3
बिंध गई मैं 
+
प्यार तू मेरा
हँसी में ही छुपी थी 
+
तेरी इन आँखों ने
तेरी सिसकी।
+
जाने किया क्या
  
घैल ह्वयौं मि
+
तू मेरी माया
हैंसी माँ इ लुकीं छै
+
तेरी यूँ आँख्यूँन त
तेरु उस्कण
+
जणी क्य काया
 
4
 
4
इक सावन 
+
साँझ-सवेरे
बरसे मन भीतर 
+
हिचकियाँ दे रही
इक बाहर।
+
संदेश तेरे
 
+
एक सौंण च
+
बर्खुणु मना पेट
+
एक भैर बि
+
  
 +
संध्या-सुबेर
 +
बडुळी देणी छन
 +
रैबार त्यारा
 
5
 
5
पुकारो कोई
+
कोई बाँचा
ढल रहे चाँद को 
+
केवल तू समझा
चकोर रोई।
+
प्यार ये साँचा
  
धै लगावा क्वी
+
कैन नी बाँची
ढ़लकदि जूनौ तैं
+
बस त्वेन समझी
चकोर रूँणु
+
माया य साँची
 
6
 
6
उठी हिलोर 
+
निर्बल जीव
सिंधु बन छलकी 
+
चढ़ाई-उतराई
नैनों की झील।
+
मन-कल्पना
  
उठी गे लैर
+
क्वाँसू पराणी
समोद्र ह्वे छळकि
+
उकाळ-उँदार च
आँख्यों कु ताल
+
मन माँ गाणी
 
7
 
7
मैं तो पतंग 
+
है अपना सा
डोर तेरे हाथों में 
+
इतनी अवधि से
खोजूँ अनंत।
+
ओ! तू था कहाँ
  
मि त पतंग
+
अपड़ू सी छैं
डोरि त्यारा हत्थ माँ
+
इथगा दिनू बिटी
खुजौं अनन्त
+
तू कख जि रैं
 
8
 
8
नभ के चाँद 
+
सुकून पाया
निहारता होगा ना 
+
तेरा चेहरा देखा
तुम्हें वह चाँद!
+
पहाड़ी चाँद  
 +
 
  
द्योरा कि जून
+
पाई सकून
हेरदि इ होलि ना
+
तेरी मुखड़ी दिखे
तुम तैं जून
+
काँठा माँ जून
 
9
 
9
उमड़ी यादें 
+
दिवस डूबा
भूली-बिसरी बातें 
+
मेरा वो मनमीत
भीगा तकिया।
+
अभी न आया
  
उरळिं खुद
+
दिन डुबी गे
भूलीं-बिसरीं बत्थ
+
मेरू वू मायादार
भिजे सिर्वाँणु
+
अबी बी नि ऐ
 
10
 
10
खुली खिड़की 
+
मन में तू है
पूरब पड़ोसी की 
+
दुनिया का ना डर
उजाला हुआ।
+
तू न रूठना
  
खुली जु मोरी
+
मन माँ तू छैं
पुरबै पड़ओसी
+
दुन्या मि नि च डौर
उजाळु ह्वे गे
+
गैल्या ना रुसै
 
11
 
11
जागो री धरा 
+
डूब नहाऊँ
आ बैठी सिरहाने 
+
पिय-झील जो पाऊँ
भोर किरण!
+
पार न जाऊँ।
  
बिजी जा पिर्थी
+
डूबी नह्योलू
ऐ कि बैठी सिर्वाँणा
+
गैल्या- ताल जो पौलू
बिन्सरी किर्ण
+
पार नी जौलू
 
12
 
12
कटे जंगल 
+
कोहरा ढके
गँवार बेदखल 
+
अठखेलियाँ सारी
उगे महल।
+
प्रिय -संग की ।
  
कटिन बौंण
+
कुरेड़ू ढकौ
गौं वळा बेदखल
+
माया पिरेम सब्बी
उग्यन मैल
+
गैल्या दगड़
 
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17:24, 4 मई 2021 के समय का अवतरण

1
चाँदनी रात
हाथ में तेरा हाथ
प्रेम की बात

जुनाळि रात
हत्थ माँ तेरु हत्थ
माया की बात।
2
है तो उजाला
दुःख भी तेरे साथ
तारों की माला

छन उजाळा
खैरी बी त्वे दगड़
गैंणों की माळा
3
प्यार तू मेरा
तेरी इन आँखों ने
जाने किया क्या

तू मेरी माया
तेरी यूँ आँख्यूँन त
जणी क्य काया
4
साँझ-सवेरे
हिचकियाँ दे रही
संदेश तेरे

संध्या-सुबेर
बडुळी देणी छन
रैबार त्यारा
5
न कोई बाँचा
केवल तू समझा
प्यार ये साँचा

कैन नी बाँची
बस त्वेन समझी
माया य साँची
6
निर्बल जीव
चढ़ाई-उतराई
मन-कल्पना

क्वाँसू पराणी
उकाळ-उँदार च
मन माँ गाणी
7
है अपना सा
इतनी अवधि से
ओ! तू था कहाँ

अपड़ू सी छैं
इथगा दिनू बिटी
तू कख जि रैं
8
सुकून पाया
तेरा चेहरा देखा
पहाड़ी चाँद


पाई सकून
तेरी मुखड़ी दिखे
काँठा माँ जून
9
दिवस डूबा
मेरा वो मनमीत
अभी न आया

दिन डुबी गे
मेरू वू मायादार
अबी बी नि ऐ
10
मन में तू है
दुनिया का ना डर
तू न रूठना

मन माँ तू छैं
दुन्या मि नि च डौर
गैल्या ना रुसै
11
डूब नहाऊँ
पिय-झील जो पाऊँ
पार न जाऊँ।

डूबी नह्योलू
गैल्या- ताल जो पौलू
पार नी जौलू
12
कोहरा ढके
अठखेलियाँ सारी
प्रिय -संग की ।

कुरेड़ू ढकौ
माया पिरेम सब्बी
गैल्या दगड़
-0-