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1 | 1 | ||
− | + | चाँदनी रात | |
− | + | हाथ में तेरा हाथ | |
− | + | प्रेम की बात | |
− | + | जुनाळि रात | |
− | + | हत्थ माँ तेरु हत्थ | |
− | + | माया की बात। | |
2 | 2 | ||
− | + | है तो उजाला | |
− | + | दुःख भी तेरे साथ | |
− | + | तारों की माला | |
− | + | छन उजाळा | |
− | + | खैरी बी त्वे दगड़ | |
− | + | गैंणों की माळा | |
3 | 3 | ||
− | + | प्यार तू मेरा | |
− | + | तेरी इन आँखों ने | |
− | तेरी | + | जाने किया क्या |
− | + | तू मेरी माया | |
− | + | तेरी यूँ आँख्यूँन त | |
− | + | जणी क्य काया | |
4 | 4 | ||
− | + | साँझ-सवेरे | |
− | + | हिचकियाँ दे रही | |
− | + | संदेश तेरे | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | संध्या-सुबेर | ||
+ | बडुळी देणी छन | ||
+ | रैबार त्यारा | ||
5 | 5 | ||
− | + | न कोई बाँचा | |
− | + | केवल तू समझा | |
− | + | प्यार ये साँचा | |
− | + | कैन नी बाँची | |
− | + | बस त्वेन समझी | |
− | + | माया य साँची | |
6 | 6 | ||
− | + | निर्बल जीव | |
− | + | चढ़ाई-उतराई | |
− | + | मन-कल्पना | |
− | + | क्वाँसू पराणी | |
− | + | उकाळ-उँदार च | |
− | + | मन माँ गाणी | |
7 | 7 | ||
− | + | है अपना सा | |
− | + | इतनी अवधि से | |
− | + | ओ! तू था कहाँ | |
− | + | अपड़ू सी छैं | |
− | + | इथगा दिनू बिटी | |
− | + | तू कख जि रैं | |
8 | 8 | ||
− | + | सुकून पाया | |
− | + | तेरा चेहरा देखा | |
− | + | पहाड़ी चाँद | |
+ | |||
− | + | पाई सकून | |
− | + | तेरी मुखड़ी दिखे | |
− | + | काँठा माँ जून | |
9 | 9 | ||
− | + | दिवस डूबा | |
− | + | मेरा वो मनमीत | |
− | + | अभी न आया | |
− | + | दिन डुबी गे | |
− | + | मेरू वू मायादार | |
− | + | अबी बी नि ऐ | |
10 | 10 | ||
− | + | मन में तू है | |
− | + | दुनिया का ना डर | |
− | + | तू न रूठना | |
− | + | मन माँ तू छैं | |
− | + | दुन्या मि नि च डौर | |
− | + | गैल्या ना रुसै | |
11 | 11 | ||
− | + | डूब नहाऊँ | |
− | + | पिय-झील जो पाऊँ | |
− | + | पार न जाऊँ। | |
− | + | डूबी नह्योलू | |
− | + | गैल्या- ताल जो पौलू | |
− | + | पार नी जौलू | |
12 | 12 | ||
− | + | कोहरा ढके | |
− | + | अठखेलियाँ सारी | |
− | + | प्रिय -संग की । | |
− | + | कुरेड़ू ढकौ | |
− | + | माया पिरेम सब्बी | |
− | + | गैल्या दगड़ | |
-0- | -0- | ||
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17:24, 4 मई 2021 के समय का अवतरण
1
चाँदनी रात
हाथ में तेरा हाथ
प्रेम की बात
जुनाळि रात
हत्थ माँ तेरु हत्थ
माया की बात।
2
है तो उजाला
दुःख भी तेरे साथ
तारों की माला
छन उजाळा
खैरी बी त्वे दगड़
गैंणों की माळा
3
प्यार तू मेरा
तेरी इन आँखों ने
जाने किया क्या
तू मेरी माया
तेरी यूँ आँख्यूँन त
जणी क्य काया
4
साँझ-सवेरे
हिचकियाँ दे रही
संदेश तेरे
संध्या-सुबेर
बडुळी देणी छन
रैबार त्यारा
5
न कोई बाँचा
केवल तू समझा
प्यार ये साँचा
कैन नी बाँची
बस त्वेन समझी
माया य साँची
6
निर्बल जीव
चढ़ाई-उतराई
मन-कल्पना
क्वाँसू पराणी
उकाळ-उँदार च
मन माँ गाणी
7
है अपना सा
इतनी अवधि से
ओ! तू था कहाँ
अपड़ू सी छैं
इथगा दिनू बिटी
तू कख जि रैं
8
सुकून पाया
तेरा चेहरा देखा
पहाड़ी चाँद
पाई सकून
तेरी मुखड़ी दिखे
काँठा माँ जून
9
दिवस डूबा
मेरा वो मनमीत
अभी न आया
दिन डुबी गे
मेरू वू मायादार
अबी बी नि ऐ
10
मन में तू है
दुनिया का ना डर
तू न रूठना
मन माँ तू छैं
दुन्या मि नि च डौर
गैल्या ना रुसै
11
डूब नहाऊँ
पिय-झील जो पाऊँ
पार न जाऊँ।
डूबी नह्योलू
गैल्या- ताल जो पौलू
पार नी जौलू
12
कोहरा ढके
अठखेलियाँ सारी
प्रिय -संग की ।
कुरेड़ू ढकौ
माया पिरेम सब्बी
गैल्या दगड़
-0-