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"हाइकु / अनिता ललित / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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प्रेम, संवेदना से 
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भौ का यु घौड़ा
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प्रेम-अप्णयूँतन
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भरे छळक्यें
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प्यारा-सा फूल 
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वो माथे का ग़ुरूर 
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बेटी है नूर।
  
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बिग्रैलू फूल
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वु कपाळौ कु माँन
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बेटुलि चम्के
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विदा हो बेटी, 
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रोए घर आँगन, 
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कचोटे मन!
  
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बिदा ह्वे बेटी
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रूँणु घौर र चौक
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मन उडॉळी
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माँ सिसकती 
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आँगन हुड़कता, 
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हो बेटी विदा।
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ब्वे उसकणि
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चौक च घुड़पणु
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हो बेटी बिदा
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माँ तेरे आँसू 
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तूफानों में हैं सोते 
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ख़ुशी में 'सोते' ।
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ब्वे त्यारा आँसू
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बत्थों माँ सेंदा छन
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खुसी माँ धारा
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प्रेम के आँसू 
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जो पिए वह जी उठे 
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सीप ये कहे।
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माया क आँसू
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जु प्यो वु ज्यून्दु ह्वे जौ
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सीप यु बोन्नू
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सर्द लहर, 
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ठिठुरती है काया 
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धूप कहाँ हो?
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ठंडी च लैर
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ठिठुकरे सरैल
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घाम कख छैं
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सर्दी की धूप 
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शरमाती, झाँकती 
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सर्माणु झाँकणु च
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लुकी-छिपि कैं
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बिखरी धूप 
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धरा के मुख पर 
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ढीठ लटों-सी.
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फोळे गे घाम
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पिर्थी का मुक परैं
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प्लीत-लटुली
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खेल-थकके 
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ज्यों माँ से लिपटे, यूँ 
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मेघ हैं सोए!
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खेल थकी कैं
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जु ब्वे का गौळा भेंटे
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बादळ सेंयाँ
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स्वर्ण–कलश 
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सिंधु में ढुलकाती 
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पधारी!
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सोना कु घौड़ू
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सिंधु माँ फरकौंदि
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बिन्सरी पौंछि
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केश सुखाती 
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भोर आई लुटाती 
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ओस के मोती।
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बाळ सुखौंदि
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बिन्सरी ऐ लुटौंदि
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ओंसा क मोती
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14:14, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1
भाव-कलश
प्रेम, संवेदना से
भरे, छलके

भौ का यु घौड़ा
प्रेम-अप्णयूँतन
भरे छळक्यें
2
प्यारा-सा फूल
वो माथे का ग़ुरूर
बेटी है नूर।

बिग्रैलू फूल
वु कपाळौ कु माँन
बेटुलि चम्के
3
विदा हो बेटी,
रोए घर आँगन,
कचोटे मन!

बिदा ह्वे बेटी
रूँणु घौर र चौक
मन उडॉळी
4
माँ सिसकती
आँगन हुड़कता,
हो बेटी विदा।

ब्वे उसकणि
चौक च घुड़पणु
हो बेटी बिदा
5
माँ तेरे आँसू
तूफानों में हैं सोते
ख़ुशी में 'सोते' ।

ब्वे त्यारा आँसू
बत्थों माँ सेंदा छन
खुसी माँ धारा
6
प्रेम के आँसू
जो पिए वह जी उठे
सीप ये कहे।

माया क आँसू
जु प्यो वु ज्यून्दु ह्वे जौ
सीप यु बोन्नू
7
सर्द लहर,
ठिठुरती है काया
धूप कहाँ हो?

ठंडी च लैर
ठिठुकरे सरैल
घाम कख छैं
8
सर्दी की धूप
शरमाती, झाँकती
छिप-छिपके.

ह्यूँदौ कु घाम
सर्माणु झाँकणु च
लुकी-छिपि कैं
9
बिखरी धूप
धरा के मुख पर
ढीठ लटों-सी.

फोळे गे घाम
पिर्थी का मुक परैं
प्लीत-लटुली
10
खेल-थकके
ज्यों माँ से लिपटे, यूँ
मेघ हैं सोए!

खेल थकी कैं
जु ब्वे का गौळा भेंटे
बादळ सेंयाँ
11
स्वर्ण–कलश
सिंधु में ढुलकाती
पधारी!

सोना कु घौड़ू
सिंधु माँ फरकौंदि
बिन्सरी पौंछि
12
केश सुखाती
भोर आई लुटाती
ओस के मोती।

बाळ सुखौंदि
बिन्सरी ऐ लुटौंदि
ओंसा क मोती
-0-