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"वे गांधीवादी हैं / विजय गौड़" के अवतरणों में अंतर

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वे गांधीवादी हैं, या न भी हों  
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पर गांधी जैसा ही है उनका चेहरा
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खल्वाट खोपड़ी भी चमकती है वैसे ही
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वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
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गांधीवादी बने रहना भी तो  
 
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नहीं है इतना आसान;  
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चारों ओर मचा हो घमासान  
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तो बचते-बचाते हुए भी  
 
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उठ ही जाती है उनके भीतर कुढ़न  
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वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे  
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वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे
पर भीतर तो उठता ही है  
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गांधी जी भी रहते ही थे गुस्से से भरे,  
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कहते हैं वे,  
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गांधी नफरत से करते थे परहेज,  
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गुस्से से नहीं  
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वे गांधीवादी हैं, या न भी हों  
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गांधी ‘स्वदेशी’ पसंद थे
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कातते थे सूत
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पहनते थे खद्दर
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वे चाहें भी तो  
 
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पहन ही नहीं सकते खद्दर  
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सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे,
सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे  
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विशिष्टताबोध को त्यागकर ही  
 
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गांधी हुए थे गांधी  
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गांधी हुए थे गांधी
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है  
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अहिंसा गांधी का मूल-मंत्र था  
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पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,  
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पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,
कहते हैं वे,  
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कहते हैं वे,
 
समयकाल के साथ चलकर ही  
 
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किया जा सकता है गांधी का अनुसरण।  
 
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19:56, 18 मई 2009 के समय का अवतरण

वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
पर गांधी जैसा ही है उनका चेहरा
खल्वाट खोपड़ी भी चमकती है वैसे ही
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
गांधीवादी बने रहना भी तो
नहीं है इतना आसान;
चारों ओर मचा हो घमासान
तो बचते-बचाते हुए भी
उठ ही जाती है उनके भीतर कुढ़न
वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे
पर भीतर तो उठता ही है
गांधी जी भी रहते ही थे गुस्से से भरे,
कहते हैं वे,
गांधी नफ़रत से करते थे परहेज,
गुस्से से नहीं
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
गांधी ‘स्वदेशी’ पसंद थे
कातते थे सूत
पहनते थे खद्दर
वे चाहें भी तो
पहन ही नहीं सकते खद्दर
सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे,
विशिष्टताबोध को त्यागकर ही
गांधी हुए थे गांधी
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है
 
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
अहिंसा गांधी का मूल-मंत्र था
पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,
कहते हैं वे,
समयकाल के साथ चलकर ही
किया जा सकता है गांधी का अनुसरण।