Changes

शोकगीत / नेहा नरुका

6 bytes added, 20:34, 26 जून 2022
और चुपचाप बस्ता लेकर स्कूल निकल जातीं
वे चाँद से न आने की प्राथनाएँ प्रार्थनाएँ करतीं
वे पूरे वक़्त किसी सहेली की तरह सूरज का साथ चाहतीं
उन्हें तारों वाली बाल कविताएँ भद्दी लगतीं
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,035
edits