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अलविदा, अलविदा, तुमसे भी, ओ मेरी सुबह, | अलविदा, अलविदा, तुमसे भी, ओ मेरी सुबह, | ||
अलविदा, ओ मेरी मातृभूमि के प्रिय पुष्प, | अलविदा, ओ मेरी मातृभूमि के प्रिय पुष्प, | ||
− | तुम्ही हो प्यार रहा मीठा और कड़वा जिससे, | + | तुम्ही हो, प्यार रहा मीठा और कड़वा जिससे, |
प्यार किया जिसे शेष बची ताक़त से । | प्यार किया जिसे शेष बची ताक़त से । | ||
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अलविदा, अलविदा, स्याह पड़ गया है पानी, | अलविदा, अलविदा, स्याह पड़ गया है पानी, | ||
दिल टूट चुका है बहुत भीतर से ... | दिल टूट चुका है बहुत भीतर से ... | ||
− | तैरता जा | + | तैरता जा रहा हूँ मैं दूर, बहुत दूर |
− | अनदेखे शब्दों के पीछे, आज़ादी के शब्दों के पीछे । | + | अनदेखे शब्दों के पीछे, आज़ादी के शब्दों के पीछे । |
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जून 1858, फ़्लोरेंस | जून 1858, फ़्लोरेंस | ||
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'''और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए''' | '''और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए''' | ||
Аполло́н Григо́рьев | Аполло́н Григо́рьев | ||
− | + | Прощай и ты, последняя зорька | |
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+ | Прощай и ты, последняя зорька, | ||
+ | Цветок моей родины милой, | ||
+ | Кого так сладко, кого так горько | ||
+ | Любил я последнею силой… | ||
− | + | Прости-прощай ты и лихом не вспомни | |
− | + | Ни снов тех ужасных, ни сказок, | |
− | + | Ни этих слез, что было дано мне | |
− | + | Порой исторгнуть из глазок. | |
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− | + | Прости-прощай ты – в краю изгнанья | |
− | + | Я буду, как сладким ядом, | |
− | + | Питаться словом последним прощанья, | |
− | + | Унылым и долгим взглядом. | |
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− | + | Прости-прощай ты, стемнели воды… | |
− | + | Сердце разбито глубоко… | |
− | + | За странным словом, за сном свободы | |
− | + | Плыву я далеко, далеко… | |
− | + | (Июнь 1858) | |
+ | (Флоренция) | ||
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18:52, 6 जुलाई 2022 के समय का अवतरण
अलविदा, अलविदा, तुमसे भी, ओ मेरी सुबह,
अलविदा, ओ मेरी मातृभूमि के प्रिय पुष्प,
तुम्ही हो, प्यार रहा मीठा और कड़वा जिससे,
प्यार किया जिसे शेष बची ताक़त से ।
अलविदा, कुछ बुरा याद नहीं करना तुम,
याद न करना न पागल सपनों को, न कहानी-क़िस्सों को,
न इन आँसुओं को जिन्हें कभी-कभी
बहाना पड़ता रहा आँखों को ॥
अलविदा, देश से दूर जैसे निष्कासन में,
मीठे ज़हर की तरह ग्रहण करूँगा
विदाई के अन्तिम शब्दों को
उदास, देर तक निहारती आँखों को ।
अलविदा, अलविदा, स्याह पड़ गया है पानी,
दिल टूट चुका है बहुत भीतर से ...
तैरता जा रहा हूँ मैं दूर, बहुत दूर
अनदेखे शब्दों के पीछे, आज़ादी के शब्दों के पीछे ।
जून 1858, फ़्लोरेंस
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Аполло́н Григо́рьев
Прощай и ты, последняя зорька
Прощай и ты, последняя зорька,
Цветок моей родины милой,
Кого так сладко, кого так горько
Любил я последнею силой…
Прости-прощай ты и лихом не вспомни
Ни снов тех ужасных, ни сказок,
Ни этих слез, что было дано мне
Порой исторгнуть из глазок.
Прости-прощай ты – в краю изгнанья
Я буду, как сладким ядом,
Питаться словом последним прощанья,
Унылым и долгим взглядом.
Прости-прощай ты, стемнели воды…
Сердце разбито глубоко…
За странным словом, за сном свободы
Плыву я далеко, далеко…
(Июнь 1858)
(Флоренция)