भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सदस्य वार्ता:महावीर जोशी पूलासर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(निरुपम ग्राम पुलासर: नया अनुभाग)
छो
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
  
 
किस पड़ाव पर हो ?
 
किस पड़ाव पर हो ?
 
== मेरे  हिस्से की रोटी ==
 
 
जिल्लत सी लगती है
 
 
जिन्दगी तब
 
 
जब ..........
 
 
मेरे ही हिस्से की रोटी
 
 
कालकूट बन जाती है
 
 
हलक ढलने से पहले
 
 
परोसी जाती है जब
 
 
मुझसे पहले
 
 
छापा पत्र पर
 
 
वृहत विशाल
 
 
इश्तिहार की थाली मे
 
 
राजनिती की
 
 
स्वार्थ साधक
 
 
रोटी बनकर
 
 
---------------
 
#रचना_महावीर_जोशी_पुलासर_सरदारशहर_राजस्थान
 
  
 
== मानव  ==
 
== मानव  ==
पंक्ति 144: पंक्ति 111:
  
 
रेगिस्तान के
 
रेगिस्तान के
 +
 
रेतीले टीलों के मध्य
 
रेतीले टीलों के मध्य
 +
 
बसा अनुपम गाँव
 
बसा अनुपम गाँव
 +
 
पुलासर
 
पुलासर
 +
 
अत्यंत रमणीय,अनुपम  
 
अत्यंत रमणीय,अनुपम  
 +
 
और विलक्षण है
 
और विलक्षण है
 +
 
जहां का सूर्योदय
 
जहां का सूर्योदय
 +
 
सूर्यवंशियों के  
 
सूर्यवंशियों के  
 +
 
तेज के साथ उदय जो होता है
 
तेज के साथ उदय जो होता है
 +
 
मेरे गाँव के पूरब मे
 
मेरे गाँव के पूरब मे
 +
 
बसा है सूर्यवंशियों का गाँव
 
बसा है सूर्यवंशियों का गाँव
 +
 
खीवणसर"
 
खीवणसर"
 +
 
मेरे गाँव की ढलती सांझ
 
मेरे गाँव की ढलती सांझ
 +
 
होता है सूर्यास्त  
 
होता है सूर्यास्त  
 +
 
सोहनी राग
 
सोहनी राग
 +
 
ओजपुर्ण काव्य
 
ओजपुर्ण काव्य
 +
 
महापुरुषों की
 
महापुरुषों की
 +
 
शौर्य गाथा के साथ
 
शौर्य गाथा के साथ
 +
 
मेरे गाँव के पश्चिम मे जो
 
मेरे गाँव के पश्चिम मे जो
 +
 
बसा है राज दरबारी  
 
बसा है राज दरबारी  
 +
 
चारणों का गाँव
 
चारणों का गाँव
 +
 
बरलाजसर  
 
बरलाजसर  
 +
 
मेरे गाँव का दक्षिण  
 
मेरे गाँव का दक्षिण  
 +
 
धन धान्य से पुर्ण  
 
धन धान्य से पुर्ण  
 +
 
धरतीपुत्र
 
धरतीपुत्र
 +
 
दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव
 
दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव
 +
 
कामासर
 
कामासर
 +
 
जिनके भामाशाह पुरखों ने
 
जिनके भामाशाह पुरखों ने
 +
 
रखी थी नीव
 
रखी थी नीव
 +
 
मेरे गाँव की
 
मेरे गाँव की
 +
 
मेरे गाँव के उत्तर मे
 
मेरे गाँव के उत्तर मे
 +
 
बसा मुस्लिमो का गाँव  
 
बसा मुस्लिमो का गाँव  
 +
 
कालुसर"
 
कालुसर"
 +
 
अल्लाह को समर्पित
 
अल्लाह को समर्पित
 +
 
एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की
 
एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की
 +
 
इबादत  
 
इबादत  
 +
 
ठेठ मका और मदीना तक
 
ठेठ मका और मदीना तक
 +
 
गुंजायमान है
 
गुंजायमान है
 +
 
और  
 
और  
 +
 
मध्य मे बसा
 
मध्य मे बसा
 +
 
मेरा गाँव  
 
मेरा गाँव  
 +
 
अर्थात्
 
अर्थात्
 +
 
ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः  
 
ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः  
 +
 
वैदिक धर्म वेदपाठी  
 
वैदिक धर्म वेदपाठी  
 +
 
ब्राह्मण बाहुल्य  
 
ब्राह्मण बाहुल्य  
 +
 
अंतिम सत्य, ईश्वर  
 
अंतिम सत्य, ईश्वर  
 +
 
परम ज्ञान को प्राप्त
 
परम ज्ञान को प्राप्त
 +
 
पुलासर
 
पुलासर
 +
 
जिनका मध्य
 
जिनका मध्य
 +
 
और पंचकोसी
 
और पंचकोसी
 +
 
उपवन
 
उपवन
 +
 
राज मिस्त्री  
 
राज मिस्त्री  
 +
 
बागवान कारीगर
 
बागवान कारीगर
 +
 
चर्मकार,काष्ठकार
 
चर्मकार,काष्ठकार
 +
 
स्वर्णकार और
 
स्वर्णकार और
 +
 
नानाप्रकार  
 
नानाप्रकार  
 +
 
विविध शिल्पकारों से
 
विविध शिल्पकारों से
 +
 
सुसजित  
 
सुसजित  
 +
 
शौभायमान विलक्षण  
 
शौभायमान विलक्षण  
 +
 
और अद्भुत है
 
और अद्भुत है
 +
 
ग्राम देवता
 
ग्राम देवता
 +
 
बलिदानी दादोजी  
 
बलिदानी दादोजी  
 +
 
उगोजी महाराज का
 
उगोजी महाराज का
 +
 
प्रतापी ग्राम पुलासर
 
प्रतापी ग्राम पुलासर
 +
 
अतिशय पुनीत
 
अतिशय पुनीत
 +
 
लोकातीत और निरुपम है
 
लोकातीत और निरुपम है
 +
 
********
 
********
 +
 
जै दादोजी महाराज
 
जै दादोजी महाराज
 +
 
**********
 
**********
 +
 
मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार  
 
मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार  
 +
 
पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान
 
पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान
 +
 +
== पुराणी तस्वीर ==
 +
 +
कागज पर असीर
 +
 +
बन जाती है
 +
 +
उम्र की एक कब्र
 +
 +
कुरेदता हूँ
 +
 +
जब भी उसको
 +
 +
पूछती है ...... उस्ताद
 +
 +
मुझे कैद कर आजाद
 +
 +
रहने वाले ...तुम्हारी
 +
 +
ताब-ऐ-तासीर
 +
 +
तबाह क्यूँ है ?
 +
 +
उम्र के .........
 +
 +
किस पड़ाव पर हो ?

17:02, 4 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

प्रिय महावीर जोशी पूलासर, कविता कोश पर आपका स्वागत है!

Swagatam.gif

कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े।

  • यदि आप अपनी स्वयं की रचनाएँ कोश में जोड़ना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिये आपको एक निश्चित प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा। यह प्रक्रिया जानने के लिये देखें: नये नाम जोड़ने की प्रक्रिया। कृपया अपने सदस्य पन्ने पर अपनी रचनाएँ ना जोड़े -क्योंकि इस तरह जोड़ी गयी रचनाओं को हटा दिया जाएगा।

  • कविता कोश में आप स्वयं पहले से मौजूद किसी भी कविता कोश बदल सकते हैं या फिर नयी कवितायें जोड़ सकते हैं। कविता कोश का संचालन कविता कोश टीम नामक एक समूह करता है। रचनाकारों की सूची जैसे पन्ने केवल इस टीम के सदस्यों के द्वारा ही बदले जा सकते हैं।

  • यदि आप कोश में पहले से मौजूद रचनाओं में कोई ग़लती पाते हैं, जैसे कि वर्तनी की ग़लतियाँ (Spelling mistakes), तो कृपया उन ग़लतियों को सुधार दें। ऐसा करने के लिये हर पन्ने के ऊपर बदलें लिंक दिया गया है।

  • अगर आप यूनिकोड के अलावा किसी दूसरे हिन्दी फ़ॉन्ट (जैसे शुषा, कृति इत्यादि) में टाइप करना जानते हैं तो भी आप उस फ़ॉन्ट में रचनाएँ टाइप कर kavitakosh@gmail.com पर भेज सकते हैं। इन रचनाओं को यूनिकोड में बदल कर कविता कोश में जोड़ दिया जाएगा। लेकिन सबसे बढिया यही रहेगा कि आप हिन्दी यूनिकोड में टाइप करना सीख लें, यह बहुत आसान है!
  • यदि आप कोई वैबसाइट या ब्लॉग चलाते हैं -तो आप उस पर कविता कोश का लिंक दे कर कोश को अधिक से अधिक लोगो तक पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। कविता कोश का लिंक है http://kavitakosh.org

  • अगर आप ग्राफ़िक डिज़ाइनिंग कर सकते हैं या आप विकि में बहुत अच्छी तरह काम करना जानते हैं तो आप कोश के लिये ग्राफ़िक्स इत्यादि बना सकते हैं और इसके रूप-रंग को और भी बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

  • आप दूसरे लोगो को कविता कोश के बारे में बता कर इसके प्रसार में मदद कर सकते हैं। जितने अधिक लोग कविता कोश के बारे में जानेंगे उतना ही अधिक योगदान कोश में हो सकेगा और कोश तीव्रता से प्रगति करेगा।


रचना... महावीर जोशी पूलासर

पुराणी_तस्वीर


कागज पर असीर

बन जाती है

उम्र की एक कब्र

कुरेदता हूँ

जब भी उसको

पूछती है ...... उस्ताद

मुझे कैद कर आजाद

रहने वाले ...तुम्हारी

ताब-ऐ-तासीर

तबाह क्यूँ है ?

उम्र के .........

किस पड़ाव पर हो ?

मानव

मानव तेरे

रूप भयंकर

अलग अलग

सब मे है अन्तर

कोई हीरा

कोई निकले कंकर

कई कपटी

कई भोला शंकर

नरभक्षी

करते कुछ तांडव

कई मानव

कई लगते दानव

By. महावीर जोशी पुलासर

सरदारशहर (राजस्थान)

मुखोटा

धधकती आग

उत्कट, , विकट आवाज

दहाड़ चेतनतत्तव की

अठ्हास किया

लंकापति ने

विस्मय मन से

देखा जब

दंभ, दर्प, मद कोप भरे

मुखोटे के पीछे

छुपे कलयुगी राम को

दहाड़ा दशानन

फिर कोई विभिषण

भेद किये जा रहा है

क्यूँ जन मानस से साथ

जो छुपा मन के

छल कपट

अंहकार अपने

चला है अचला से

तिमिर मिटाने को

‐------------

रचना: महावीर जोशी पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान

निरुपम ग्राम पुलासर

रेगिस्तान के

रेतीले टीलों के मध्य

बसा अनुपम गाँव

पुलासर

अत्यंत रमणीय,अनुपम

और विलक्षण है

जहां का सूर्योदय

सूर्यवंशियों के

तेज के साथ उदय जो होता है

मेरे गाँव के पूरब मे

बसा है सूर्यवंशियों का गाँव

खीवणसर"

मेरे गाँव की ढलती सांझ

होता है सूर्यास्त

सोहनी राग

ओजपुर्ण काव्य

महापुरुषों की

शौर्य गाथा के साथ

मेरे गाँव के पश्चिम मे जो

बसा है राज दरबारी

चारणों का गाँव

बरलाजसर

मेरे गाँव का दक्षिण

धन धान्य से पुर्ण

धरतीपुत्र

दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव

कामासर

जिनके भामाशाह पुरखों ने

रखी थी नीव

मेरे गाँव की

मेरे गाँव के उत्तर मे

बसा मुस्लिमो का गाँव

कालुसर"

अल्लाह को समर्पित

एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की

इबादत

ठेठ मका और मदीना तक

गुंजायमान है

और

मध्य मे बसा

मेरा गाँव

अर्थात्

ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः

वैदिक धर्म वेदपाठी

ब्राह्मण बाहुल्य

अंतिम सत्य, ईश्वर

परम ज्ञान को प्राप्त

पुलासर

जिनका मध्य

और पंचकोसी

उपवन

राज मिस्त्री

बागवान कारीगर

चर्मकार,काष्ठकार

स्वर्णकार और

नानाप्रकार

विविध शिल्पकारों से

सुसजित

शौभायमान विलक्षण

और अद्भुत है

ग्राम देवता

बलिदानी दादोजी

उगोजी महाराज का

प्रतापी ग्राम पुलासर

अतिशय पुनीत

लोकातीत और निरुपम है

जै दादोजी महाराज

मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार

पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान

पुराणी तस्वीर

कागज पर असीर

बन जाती है

उम्र की एक कब्र

कुरेदता हूँ

जब भी उसको

पूछती है ...... उस्ताद

मुझे कैद कर आजाद

रहने वाले ...तुम्हारी

ताब-ऐ-तासीर

तबाह क्यूँ है ?

उम्र के .........

किस पड़ाव पर हो ?