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"फूल कनेर के / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
 
चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
 
ले गया फूल कनेर के  ।  
 
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-0- (12-4-1994:समय सुरभि  जनवरी2001)
  
 
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00:16, 5 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

किसने रोके पाँव अचानक
धीरे-धीरे टेर के ।
उजले –पीले भरकर आए-
लो आँगन फूल कनेर के
 
दिन भर गुमसुम सोई माधवी
तनिक नहीं आभास रहा ;
घिरा अँधेरा खूब नहाई
सुरभि- सरोवर पास रहा ।
 
पलक बिछाए बिछे धरा पर
प्यारे फूल कनेर के।
 
बौराया मन चैन ना पाए
व्याकुल झुकती डाल –सा
पीपल के पत्ते-सा थिरके
हिलता किसी रूमाल-सा
 
चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
ले गया फूल कनेर के ।
-0- (12-4-1994:समय सुरभि जनवरी2001)