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"हम सुनायें तो कहानी और है / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

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दास्ताँ उसने सुनानी और है
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हम जो पीते हैं वो पानी और है
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क्या मेरे जानाँ का सानी और है
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उसकी दुनिया यार जानी और है
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शाइरी करती है इक दुनिया फ़राज़
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पर तेरी सादा बयानी और है
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'''अबस''' - बेकार, '''सानी''' - बराबर, दूसरा
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'''कामत''' - लम्बे शरीर वाला (यहाँ कयामत/ज़ुल्म ढाने वाले से मतलब है)
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21:17, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

हम सुनायें तो कहानी और है
यार लोगों की जुबानी और है

चारागर रोते हैं ताज़ा ज़ख्म को
दिल की बीमारी पुरानी और है

जो कहा हमने वो मजमूँ और था
तर्जुमाँ की तर्जुमानी और है

है बिसाते-दिल लहू की एक बूंद
चश्मे-पुर-खूं की रवानी और है

नामाबर को कुछ भी हम पैगाम दें
दास्ताँ उसने सुनानी और है

आबे-जमजम दोस्त लायें हैं अबस
हम जो पीते हैं वो पानी और है

सब कयामत कामतों को देख लो
क्या मेरे जानाँ का सानी और है

अहले-दिल के अन्जुमन में आ कभी
उसकी दुनिया यार जानी और है

शाइरी करती है इक दुनिया फ़राज़
पर तेरी सादा बयानी और है

चश्मे-पुर-खूं - खून से भरी हुई आँख
आबे-जमजम - मक्के का पवित्र पानी
अबस - बेकार, सानी - बराबर, दूसरा
कामत - लम्बे शरीर वाला (यहाँ कयामत/ज़ुल्म ढाने वाले से मतलब है)