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रेगिस्तान के | रेगिस्तान के | ||
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रेतीले टीलों के मध्य | रेतीले टीलों के मध्य | ||
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बसा अनुपम गाँव | बसा अनुपम गाँव | ||
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पुलासर | पुलासर | ||
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अत्यंत रमणीय,अनुपम | अत्यंत रमणीय,अनुपम | ||
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और विलक्षण है | और विलक्षण है | ||
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जहां का सूर्योदय | जहां का सूर्योदय | ||
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सूर्यवंशियों के | सूर्यवंशियों के | ||
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तेज के साथ उदय जो होता है | तेज के साथ उदय जो होता है | ||
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मेरे गाँव के पूरब मे | मेरे गाँव के पूरब मे | ||
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बसा है सूर्यवंशियों का गाँव | बसा है सूर्यवंशियों का गाँव | ||
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खीवणसर" | खीवणसर" | ||
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मेरे गाँव की ढलती सांझ | मेरे गाँव की ढलती सांझ | ||
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होता है सूर्यास्त | होता है सूर्यास्त | ||
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सोहनी राग | सोहनी राग | ||
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ओजपुर्ण काव्य | ओजपुर्ण काव्य | ||
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महापुरुषों की | महापुरुषों की | ||
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शौर्य गाथा के साथ | शौर्य गाथा के साथ | ||
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मेरे गाँव के पश्चिम मे जो | मेरे गाँव के पश्चिम मे जो | ||
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बसा है राज दरबारी | बसा है राज दरबारी | ||
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चारणों का गाँव | चारणों का गाँव | ||
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बरलाजसर | बरलाजसर | ||
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मेरे गाँव का दक्षिण | मेरे गाँव का दक्षिण | ||
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धन धान्य से पुर्ण | धन धान्य से पुर्ण | ||
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धरतीपुत्र | धरतीपुत्र | ||
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दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव | दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव | ||
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कामासर | कामासर | ||
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जिनके भामाशाह पुरखों ने | जिनके भामाशाह पुरखों ने | ||
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रखी थी नीव | रखी थी नीव | ||
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मेरे गाँव की | मेरे गाँव की | ||
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मेरे गाँव के उत्तर मे | मेरे गाँव के उत्तर मे | ||
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बसा मुस्लिमो का गाँव | बसा मुस्लिमो का गाँव | ||
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कालुसर" | कालुसर" | ||
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अल्लाह को समर्पित | अल्लाह को समर्पित | ||
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एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की | एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की | ||
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इबादत | इबादत | ||
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ठेठ मका और मदीना तक | ठेठ मका और मदीना तक | ||
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गुंजायमान है | गुंजायमान है | ||
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और | और | ||
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मध्य मे बसा | मध्य मे बसा | ||
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मेरा गाँव | मेरा गाँव | ||
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अर्थात् | अर्थात् | ||
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ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः | ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः | ||
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वैदिक धर्म वेदपाठी | वैदिक धर्म वेदपाठी | ||
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ब्राह्मण बाहुल्य | ब्राह्मण बाहुल्य | ||
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अंतिम सत्य, ईश्वर | अंतिम सत्य, ईश्वर | ||
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परम ज्ञान को प्राप्त | परम ज्ञान को प्राप्त | ||
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पुलासर | पुलासर | ||
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जिनका मध्य | जिनका मध्य | ||
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और पंचकोसी | और पंचकोसी | ||
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उपवन | उपवन | ||
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राज मिस्त्री | राज मिस्त्री | ||
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बागवान कारीगर | बागवान कारीगर | ||
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चर्मकार,काष्ठकार | चर्मकार,काष्ठकार | ||
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स्वर्णकार और | स्वर्णकार और | ||
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नानाप्रकार | नानाप्रकार | ||
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विविध शिल्पकारों से | विविध शिल्पकारों से | ||
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सुसजित | सुसजित | ||
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शौभायमान विलक्षण | शौभायमान विलक्षण | ||
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और अद्भुत है | और अद्भुत है | ||
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ग्राम देवता | ग्राम देवता | ||
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बलिदानी दादोजी | बलिदानी दादोजी | ||
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उगोजी महाराज का | उगोजी महाराज का | ||
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प्रतापी ग्राम पुलासर | प्रतापी ग्राम पुलासर | ||
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अतिशय पुनीत | अतिशय पुनीत | ||
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लोकातीत और निरुपम है | लोकातीत और निरुपम है | ||
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जै दादोजी महाराज | जै दादोजी महाराज | ||
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मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार | मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार | ||
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पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान | पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान | ||
17:02, 4 जनवरी 2023 के समय का अवतरण
प्रिय महावीर जोशी पूलासर, कविता कोश पर आपका स्वागत है! कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े। |
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रचना... महावीर जोशी पूलासर
पुराणी_तस्वीर
कागज पर असीर
बन जाती है
उम्र की एक कब्र
कुरेदता हूँ
जब भी उसको
पूछती है ...... उस्ताद
मुझे कैद कर आजाद
रहने वाले ...तुम्हारी
ताब-ऐ-तासीर
तबाह क्यूँ है ?
उम्र के .........
किस पड़ाव पर हो ?
विषय सूची
मानव
मानव तेरे
रूप भयंकर
अलग अलग
सब मे है अन्तर
कोई हीरा
कोई निकले कंकर
कई कपटी
कई भोला शंकर
नरभक्षी
करते कुछ तांडव
कई मानव
कई लगते दानव
By. महावीर जोशी पुलासर
सरदारशहर (राजस्थान)
मुखोटा
धधकती आग
उत्कट, , विकट आवाज
दहाड़ चेतनतत्तव की
अठ्हास किया
लंकापति ने
विस्मय मन से
देखा जब
दंभ, दर्प, मद कोप भरे
मुखोटे के पीछे
छुपे कलयुगी राम को
दहाड़ा दशानन
फिर कोई विभिषण
भेद किये जा रहा है
क्यूँ जन मानस से साथ
जो छुपा मन के
छल कपट
अंहकार अपने
चला है अचला से
तिमिर मिटाने को
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रचना: महावीर जोशी पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान
निरुपम ग्राम पुलासर
रेगिस्तान के
रेतीले टीलों के मध्य
बसा अनुपम गाँव
पुलासर
अत्यंत रमणीय,अनुपम
और विलक्षण है
जहां का सूर्योदय
सूर्यवंशियों के
तेज के साथ उदय जो होता है
मेरे गाँव के पूरब मे
बसा है सूर्यवंशियों का गाँव
खीवणसर"
मेरे गाँव की ढलती सांझ
होता है सूर्यास्त
सोहनी राग
ओजपुर्ण काव्य
महापुरुषों की
शौर्य गाथा के साथ
मेरे गाँव के पश्चिम मे जो
बसा है राज दरबारी
चारणों का गाँव
बरलाजसर
मेरे गाँव का दक्षिण
धन धान्य से पुर्ण
धरतीपुत्र
दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव
कामासर
जिनके भामाशाह पुरखों ने
रखी थी नीव
मेरे गाँव की
मेरे गाँव के उत्तर मे
बसा मुस्लिमो का गाँव
कालुसर"
अल्लाह को समर्पित
एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की
इबादत
ठेठ मका और मदीना तक
गुंजायमान है
और
मध्य मे बसा
मेरा गाँव
अर्थात्
ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः
वैदिक धर्म वेदपाठी
ब्राह्मण बाहुल्य
अंतिम सत्य, ईश्वर
परम ज्ञान को प्राप्त
पुलासर
जिनका मध्य
और पंचकोसी
उपवन
राज मिस्त्री
बागवान कारीगर
चर्मकार,काष्ठकार
स्वर्णकार और
नानाप्रकार
विविध शिल्पकारों से
सुसजित
शौभायमान विलक्षण
और अद्भुत है
ग्राम देवता
बलिदानी दादोजी
उगोजी महाराज का
प्रतापी ग्राम पुलासर
अतिशय पुनीत
लोकातीत और निरुपम है
जै दादोजी महाराज
मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार
पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान
पुराणी तस्वीर
कागज पर असीर
बन जाती है
उम्र की एक कब्र
कुरेदता हूँ
जब भी उसको
पूछती है ...... उस्ताद
मुझे कैद कर आजाद
रहने वाले ...तुम्हारी
ताब-ऐ-तासीर
तबाह क्यूँ है ?
उम्र के .........
किस पड़ाव पर हो ?