भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दीपक जलते रहना / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
 
बनकर निर्झर
 
बनकर निर्झर
 
अँधियारो में बहना ।
 
अँधियारो में बहना ।
-0-
+
-0-'''(15-8-89:तिब्बत बुलेटिन,जनवरी90,साहित्याकाश जुलाई90,उजाला-अक्तुबर 90)'''  
'''(15-8-89:तिब्बत बुलेटिन-जनवरी-90,साहित्याकाश जुलाई-90,उजाला-अक्तुबर 90)'''            
+
       
 
</poem>
 
</poem>

00:03, 11 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

बहुत अँधेरा
दूर सवेरा
दीपक जलते रहना ।
छोटी बाती
एक न साथी
तुझको सब कुछ सहना ।
पथ अनजाना
चलते जाना
दुख न किसी से कहना ।
तुझको घर-घर
बनकर निर्झर
अँधियारो में बहना ।
-0-(15-8-89:तिब्बत बुलेटिन,जनवरी90,साहित्याकाश जुलाई90,उजाला-अक्तुबर 90)