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− | भोर की | + | भोर की प्रथम किरण फीकी। |
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− | मुदित | + | दिन है जय है यह बहुजन की। |
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− | प्रणति | + | प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन |
− | लाल रवि | + | लो यह मेरी |
− | ओ जन-जीवन | + | सकल भावना तन की, मन की- |
− | लो यह | + | वह बनपाखी जाने गरिमा |
− | मेरी | + | महिमा |
− | सकल | + | मेरे छोटे चेतन छन की! |
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− | + | '''इलाहाबाद-दिल्ली (रेल में), 3 फरवरी, 1951''' | |
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16:13, 6 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
भोर की प्रथम किरण फीकी।
अनजाने जागी हो याद किसी की-
अपनी मीठी नीकी।
धीरे-धीरे उदित
रवि का लाल-लाल गोला
चौंक कहीं पर
छिपा मुदित बनपाखी बोला
दिन है जय है यह बहुजन की।
प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन
लो यह मेरी
सकल भावना तन की, मन की-
वह बनपाखी जाने गरिमा
महिमा
मेरे छोटे चेतन छन की!
इलाहाबाद-दिल्ली (रेल में), 3 फरवरी, 1951