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आई ऋतु नवल
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डॉ. कविता भट्ट
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कली बुराँस
 
कली बुराँस
अब नहीं है उदास
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आया वसंत
 
आया वसंत
 
ठिठुरन का अंत
 
ठिठुरन का अंत
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चपल है मुस्कान
 
चपल है मुस्कान
 
ये दिव्यनाद
 
ये दिव्यनाद
नयनों का संवाद
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'''नयनों का संवाद
 
अधर धरे
 
अधर धरे
 
उन्मुक्त केश वरे
 
उन्मुक्त केश वरे
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हुई विह्वल  
 
हुई विह्वल  
 
इठलाती चंचल
 
इठलाती चंचल
आई ऋतु नवल।
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आई ऋतु नवल'''।
 
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03:13, 31 जनवरी 2023 के समय का अवतरण


कली बुराँस
अब नहीं उदास
आया वसंत
ठिठुरन का अंत
मन मगन
हिय है मधुवन
सुने रतियाँ
पिय की ही बतियाँ
मधु घोलती
कानों में बोलती
प्रेम-आलाप
सुखद पदचाप
स्फीत नयन
तन -मन अगन
अमिय पान
चपल है मुस्कान
ये दिव्यनाद
नयनों का संवाद
अधर धरे
उन्मुक्त केश वरे
तप्त कपोल
उदीप्त द्वार खोल
हुई विह्वल
इठलाती चंचल
आई ऋतु नवल
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