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"बटोही / अनीता सैनी" के अवतरणों में अंतर

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साथ उस का निभा देना
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तुम हाथ थाम लेना
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तुम दीप अरमानों का जला देना
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नाकाम रही वो राह में
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नाउम्मीद तो नहीं
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बटोही हो तुम राह के
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मंज़िल तक  पहुँचा देना।
  
 
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00:30, 7 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

अबकी बार गुज़रो
उस राह से
ज़रा ठहर जाना
पीपल की छाँव में
तुम पलट जाना
उस मिट्टी के ढलान पर
बैठी है उम्मीद
साथ उस का निभा देना
तपती रेत पर डगमगाएँगे क़दम
तुम हाथ थाम लेना
उसकी ज़मीरी ने किया है
ख़्वाहिशों का क़त्ल
तुम दीप अरमानों का जला देना
नाकाम रही वो राह में
नाउम्मीद तो नहीं
बटोही हो तुम राह के
मंज़िल तक पहुँचा देना।