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"सरायन / राकेश कुमार पटेल" के अवतरणों में अंतर

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अरी सरायन!  
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मेरी प्यारी नन्ही-सी नदी
 
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वर्षों बाद तुझे देखा आज फिर  
 
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और दिल भर आया
 
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तेरे किनारे बैठ कर
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तुझे नदी समझकर  
 
तुझे नदी समझकर  
कुछ पानी-सा ढूढ़ रहा था मैं
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कुछ पानी-सा ढूँढ़ रहा था मैं
और तू जोरों से रो पड़ी
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तेरे काले आँसू छलछलाकर  
 
तेरे काले आँसू छलछलाकर  
धीरे से ढुलक पडे।
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धीरे से ढुलक पड़े ।
 
किसानों ने जोत डाला  
 
किसानों ने जोत डाला  
 
तुझे खेत बनाकर
 
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शहर वालों ने उड़ेल दिया है  
 
शहर वालों ने उड़ेल दिया है  
सारी गंदगी और जहर तुझमें
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अब तुझे मरने से कौन रोक सकता है  
 
अब तुझे मरने से कौन रोक सकता है  
मेरी नन्ही-सी प्यारी-सी नदी!
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मेरी नन्ही-सी प्यारी-सी नदी !
 
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03:22, 23 अगस्त 2023 के समय का अवतरण

अरी सरायन !
मेरी प्यारी नन्ही-सी नदी
वर्षों बाद तुझे देखा आज फिर
और दिल भर आया

तेरे किनारे बैठकर
तुझे नदी समझकर
कुछ पानी-सा ढूँढ़ रहा था मैं
और तू ज़ोरों से रो पड़ी

तेरे काले आँसू छलछलाकर
धीरे से ढुलक पड़े ।
किसानों ने जोत डाला
तुझे खेत बनाकर

शहर वालों ने उड़ेल दिया है
सारी गंदगी और ज़हर तुझमें
अब तुझे मरने से कौन रोक सकता है
मेरी नन्ही-सी प्यारी-सी नदी !