गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
नींद / मिख़अईल लेरमन्तफ़ / अनिल जनविजय
3 bytes removed
,
03:03, 26 दिसम्बर 2023
शरीर पड़ा है घाटी में जिसका, वो था उसका प्राण-प्यारा
जिसके सीने में सुलग रहा है रक्तरंजित वो काला घाव
रक्त की ठण्डी धारा में भी, जल
रहा्
रहा
है वह ज्यों अलाव
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits