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"जीना अपने ही में / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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लोक कर्म भव सत्य  | लोक कर्म भव सत्य  | ||
प्रथम सत्कर्म कीजिए  | प्रथम सत्कर्म कीजिए  | ||
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00:50, 13 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
जीना अपने ही में
एक महान कर्म है
जीने का हो सदुपयोग
यह मनुज धर्म है
अपने ही में रहना 
एक प्रबुद्ध कला है
जग के हित रहने में
सबका सहज भला है
जग का प्यार मिले 
जन्मों के पुण्य चाहिए
जग जीवन को 
प्रेम सिन्धु में डूब थाहिए
ज्ञानी बनकर 
मत नीरस उपदेश दीजिए
लोक कर्म भव सत्य
प्रथम सत्कर्म कीजिए
	
	