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"रिश्ते बेनाम करे / शिवजी श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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+ | नेह भरे सम्बोधन, | ||
+ | बीते कल के नाम करे। | ||
+ | गली गली में बच्चे बैठे | ||
+ | इंटरनेट चलाते | ||
+ | दिन भर चैटिंग- वैटिंग करते | ||
+ | जाने क्या बतियाते, | ||
+ | रिश्तों की मर्यादा का | ||
+ | नया व्याकरण पढ़कर | ||
+ | मम्मी-पापा,दादी-बाबा, | ||
+ | सबको फ्रेंड बनाते, | ||
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+ | कौन छुए अब चरण किसी के | ||
+ | कौन प्रणाम करे। | ||
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+ | हरिया के बेटे- बेटी भी | ||
+ | हाट -बज़ार न जाते, | ||
+ | बैठे ही बैठे घर मे | ||
+ | सब ऑनलाइन मँगाते, | ||
+ | चना-चबैना लइया सत्तू | ||
+ | लगता उनको फीका | ||
+ | बड़े शौक से बैठ मॉल में | ||
+ | पिज्जा बर्गर खाते। | ||
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+ | हाड़ तोड़ता हरिया दिन दिन | ||
+ | कर्जा कौन भरे। | ||
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08:39, 16 जुलाई 2025 के समय का अवतरण
आभासी दुनिया
सारे रिश्ते बेनाम करे
नेह भरे सम्बोधन,
बीते कल के नाम करे।
गली गली में बच्चे बैठे
इंटरनेट चलाते
दिन भर चैटिंग- वैटिंग करते
जाने क्या बतियाते,
रिश्तों की मर्यादा का
नया व्याकरण पढ़कर
मम्मी-पापा,दादी-बाबा,
सबको फ्रेंड बनाते,
कौन छुए अब चरण किसी के
कौन प्रणाम करे।
हरिया के बेटे- बेटी भी
हाट -बज़ार न जाते,
बैठे ही बैठे घर मे
सब ऑनलाइन मँगाते,
चना-चबैना लइया सत्तू
लगता उनको फीका
बड़े शौक से बैठ मॉल में
पिज्जा बर्गर खाते।
हाड़ तोड़ता हरिया दिन दिन
कर्जा कौन भरे।