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"मैं किसान का बेटा / प्रभात" के अवतरणों में अंतर

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मेरा सारा बदन
 
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धनिए के टाट पर सोने से अकड़ा-ऎंठा
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इस वन के बबूलों में सोई
 
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मैं भी गा रहा हूँ
 
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मैंने देखा थोड़ा-सा अंधेरा
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वह किस तरह ढहा-गिरा-झरा
 
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और वह दिखा पूरब
 
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बादलों के मचान से वह सूर्य उगा
 
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काम करने की लगन लाल उर्जा से भरा।
 
काम करने की लगन लाल उर्जा से भरा।
 
 
 
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00:48, 8 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण


मैं किसान का बेटा
मेरा सारा बदन
धनिए के टाट पर सोने से अकड़ा-ऐंठा

इस वन के बबूलों में सोई
चिडियाओं की चहचहाटों ने
मेरी आँखों पर पड़ी पलकों को हिलाया
मुझे जगाया

जाग गया हूँ
निर्जन में झाँक रहा हूँ
हवा गा रही है
मैं भी गा रहा हूँ
मीठा लग रहा है
मैंने देखा थोड़ा-सा अँधेरा
वह किस तरह ढहा-गिरा-झरा
और अब
ये अँधेरे की आख़िरी पर्त गिर रही है

और वह दिखा पूरब
बादलों के मचान से वह सूर्य उगा
काम करने की लगन लाल उर्जा से भरा।