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"वापस-1 / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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बत्ती जलाओ और शुरू करो फिर वही पाठ
 
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वहीं जहाँ छोड़ा था कल।
 
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12:49, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जैसे रो-धो कर चुप हो हाथ-मुँह धो
अंतिम हिचकी भर
वापस चूल्हे के पास लौटती है नई वधू
भाई के जाने के बाद

वैसे ही लौटो तुम भी
बहुत हुआ बहुत रोए-गाए
अब साँझ हो रही है
बत्ती जलाओ और शुरू करो फिर वही पाठ
वहीं जहाँ छोड़ा था कल।