भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी / विनोद कुमार शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद कुमार शुक्ल |संग्रह= }} <Poem> जगह-जगह रुक रही ...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=विनोद कुमार शुक्ल  
 
|रचनाकार=विनोद कुमार शुक्ल  
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी,
 
जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी,

01:47, 28 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

जगह-जगह रुक रही थी यह गाड़ी,
बिलासपुर में समाप्त होने वाली
छत्तीसगढ़ में सवार था।

अचानक गोदिया में
सभी यात्री उतर गए
और दूसरी कलकत्ता तक जाने वाली
आई गाड़ी में चढ़ गए।

एक मुझ से अधिक बूढ़े यात्री ने
उतरते हुए कहा
'तुम भी उतर जाओ
अगले जनम पहुँचेगी यह गाड़ी'

मुझे जल्दी नहीं थी
मैं ख़ुशी से गाड़ी में बैठा रहा
मुझे राजनांदगाँव उतरना था
जहाँ मेरा जन्म हुआ था।