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"हातो पहाड़ / श्रीनिवास श्रीकांत" के अवतरणों में अंतर
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यह लगा | यह लगा | ||
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भड़भड़ा कर गिर जाएँगी | भड़भड़ा कर गिर जाएँगी | ||
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गत वर्ष | गत वर्ष | ||
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आया था भूकम्प | आया था भूकम्प | ||
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हिली थी धरती | हिली थी धरती | ||
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और तब लगा था | और तब लगा था | ||
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कि ये अपनी कायनात समेत | कि ये अपनी कायनात समेत | ||
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हो जाएँगी ढेर | हो जाएँगी ढेर | ||
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इनके नीचे दब जाएँगी | इनके नीचे दब जाएँगी | ||
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जाने कितनी नियतियाँ | जाने कितनी नियतियाँ | ||
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मुस्कुराहटें | मुस्कुराहटें | ||
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जिजीविषाएँ | जिजीविषाएँ | ||
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ये इमारतें नहीं | ये इमारतें नहीं | ||
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नागफनियाँ हैं | नागफनियाँ हैं | ||
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कंकरीट की | कंकरीट की | ||
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हातो पहाड़ की पीठ पर | हातो पहाड़ की पीठ पर | ||
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अव्यक्त मृत्यु को ढो रही हैं ये | अव्यक्त मृत्यु को ढो रही हैं ये | ||
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डिब्बीनुमा | डिब्बीनुमा | ||
− | + | मधुछत्तों-सी हवेलियाँ | |
− | मधुछत्तों सी हवेलियाँ | + | |
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जिनमें पंखहीन | जिनमें पंखहीन | ||
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मानुष-मक्खियाँ | मानुष-मक्खियाँ | ||
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जमा कर रहीं | जमा कर रहीं | ||
+ | सपनों का शहद | ||
+ | और होती हैं ख़ुश। | ||
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− | + | '''हातो- कश्मीरी कुली''' | |
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04:27, 12 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
कल
इनके नीचे से गुज़रते हुए
यह लगा
ये ताश-घरों की तरह अभी
भड़भड़ा कर गिर जाएँगी
गत वर्ष
आया था भूकम्प
हिली थी धरती
और तब लगा था
कि ये अपनी कायनात समेत
हो जाएँगी ढेर
इनके नीचे दब जाएँगी
जाने कितनी नियतियाँ
मुस्कुराहटें
जिजीविषाएँ
ये इमारतें नहीं
नागफनियाँ हैं
कंकरीट की
हातो पहाड़ की पीठ पर
अव्यक्त मृत्यु को ढो रही हैं ये
डिब्बीनुमा
मधुछत्तों-सी हवेलियाँ
जिनमें पंखहीन
मानुष-मक्खियाँ
जमा कर रहीं
सपनों का शहद
और होती हैं ख़ुश।
हातो- कश्मीरी कुली