भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चहत महामुनि जाग जयो / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} <poem>) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | '''राग सारङ्ग''' | ||
+ | |||
+ | चहत महामुनि जाग जयो | | ||
+ | नीच निसाचर देत दुसह दुख, कृस तनु ताप तयो || | ||
+ | सापे पाप, नये निदरत खल, तब यह मन्त्र ठयो | | ||
+ | बिप्र-साधु-सुर-धेनु-धरनि-हित हरि अवतार लयो || | ||
+ | सुमिरत श्रीसारङ्गपानि छनमें सब सोच गयो | | ||
+ | चले मुदित कौसिक कोसलपुर, सगुननि साथ दयो || | ||
+ | करत मनोरथ जात पुलकि, प्रगटत आनन्द नयो | | ||
+ | तुलसी प्रभु-अनुराग उमगि मग मङ्गल मूल भयो || | ||
+ | </poem> |
20:55, 27 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
राग सारङ्ग
चहत महामुनि जाग जयो |
नीच निसाचर देत दुसह दुख, कृस तनु ताप तयो ||
सापे पाप, नये निदरत खल, तब यह मन्त्र ठयो |
बिप्र-साधु-सुर-धेनु-धरनि-हित हरि अवतार लयो ||
सुमिरत श्रीसारङ्गपानि छनमें सब सोच गयो |
चले मुदित कौसिक कोसलपुर, सगुननि साथ दयो ||
करत मनोरथ जात पुलकि, प्रगटत आनन्द नयो |
तुलसी प्रभु-अनुराग उमगि मग मङ्गल मूल भयो ||