भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सज़ा का हाल सुनाये जज़ा की बात करें / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=साहिर लुधियानवी |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem>सज़ा का ...)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
 
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
|संग्रह=  
+
|संग्रह=परछाईयाँ (संग्रह) / साहिर लुधियानवी
 
}}
 
}}
 +
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>सज़ा का हाल सुनाये जज़ा की बात करें
 
<poem>सज़ा का हाल सुनाये जज़ा की बात करें
पंक्ति 19: पंक्ति 20:
 
वफ़ाशियार कई हैं कोई हसीं भी तो हो
 
वफ़ाशियार कई हैं कोई हसीं भी तो हो
 
चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें
 
चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें
 +
 +
</poem>

15:19, 1 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

सज़ा का हाल सुनाये जज़ा की बात करें
ख़ुदा मिला हो जिन्हें वो ख़ुदा की बात करें

उन्हें पता भी चले और वो ख़फ़ा भी न हो
इस एहतियात से क्या मज़ा की बात करें

हमारे अहद की तहज़ीब में क़बा ही नहीं
अगर क़बा हो तो बन्द-ए-क़बा की बात करें

हर एक दौर का मज़हब नया ख़ुदा लाता
करें तो हम भी मगर किस ख़ुदा की बात करें

वफ़ाशियार कई हैं कोई हसीं भी तो हो
चलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें