भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नाग पंचमी / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमृता प्रीतम |संग्रह= }} <poem> मेरा बदन एक पुराना पे...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 
+
[[Category:पंजाबी भाषा]]
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
मेरा बदन एक पुराना पेड़ है...
 
मेरा बदन एक पुराना पेड़ है...

02:59, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण

मेरा बदन एक पुराना पेड़ है...
और तेरा इश्क़ नागवंशी –
युगों से मेरे पेड़ की
एक खोह में रहता है।

नागों का बसेरा ही पेड़ों का सच है
नहीं तो ये टहनियाँ और बौर-पत्ते –
देह का बिखराव होता है...

यूँ तो बिखराव भी प्यारा
अगर पीले दिन झड़ते हैं
तो हरे दिन उगते हैं
और छाती का अँधेरा
जो बहुत गाढ़ा है
– वहाँ भी कई बार फूल जगते हैं।

और पेड़ की एक टहनी पर –
जो बच्चों ने पेंग डाली है
वह भी तो देह की रौनक़...

देख इस मिट्टी की बरकत –
मैं पेड़ की योनि में आगे से दूनी हूँ
पर देह के बिखराव में से
मैंने घड़ी भर वक़्त निकाला है

और दूध की कटोरी चुराकर
तुम्हारी देह पूजने आई हूँ...

यह तेरे और मेरे बदन का पुण्य है
और पेड़ों को नगी बिल की क़सम है
और – बरस बाद
मेरी ज़िन्दगी में आया –
यह नागपंचमी का दिन है...