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"हद / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

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03:18, 8 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

क़सम खाए बिना
जहाँ किसी बात को सच न माना जाए
और उसके बाद भी
सचाई सन्दिग्ध हो

जहाँ क़ानून को भी यक़ीन न हो
और अपराधी को भी
वहाँ घबराना स्वाभाविक है
तब तो और भी ज़्यादा
जब कोई हद हो
जैसे कि- मौत।