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"आश्वासन / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

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03:16, 8 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

हे ईश्वर !
कुछ दिन आदमी के बाक़ी सब दिन तेरे

यह सिखाया गया था मुझे
कि हृदय है तेरा घर

पर इसमें क्यों भरे हुए हैं
इतने सारे डर?
कि कोई भी मेरी जान निकाल सकता है

हे ईश्वर ! तू चिन्ता न कर
तू तो रहेगा ही रहेगा
क्योंकि मेरे डर तुझको बनाए रहेंगे अमर।