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"नैतिक प्रश्न / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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आज से पहले मैंने मित्र को कभी | आज से पहले मैंने मित्र को कभी |
13:20, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
आज से पहले मैंने मित्र को कभी
असमंजस में नहीं देखा
उसने किसी को कभी कुछ पूछने की
मोहलत भी नहीं दी
क्योंकि वह जो भी कर रहा था वह
सत्य के पक्ष में
ऎतिहासिक दायित्व का विनम्र
निर्वाह था
लेकिन आज बरसात की इस शाम को
फुटपाथ पर पहली बार उसे ठिठकते
हिचकते देखा
हाथ में गर्म भुट्टा पकड़े अंगीठी पर आँखें
गड़ाए वह बोला--लगता है मसान के
कोयले पर पका है
खाना ठीक होगा ?