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"अतुकांत चंद्रकांत / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
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फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था | फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था | ||
हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था | हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था |
20:43, 30 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
चंद्रकांत बावन में प्रेम में डूबा था
सत्तावन में चुनाव उसको अजूबा था
बासठ में चिंतित उपदेश से ऊबा था
सरसठ में लोहिया था और ...और क्यूबा था
फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था
हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था
अब बचा महबूबा पर महबूबा था कैसे लिखूँ