"औरत लोग / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर
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दुनिया के इस सबसे अविश्वसनीय | दुनिया के इस सबसे अविश्वसनीय | ||
बादशाह के पास | बादशाह के पास | ||
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पुरुष हो सकता है अच्छा पिता सिर्फ़ तब | पुरुष हो सकता है अच्छा पिता सिर्फ़ तब | ||
माँ जैसा कुछ होता है उसके भीतर जब | माँ जैसा कुछ होता है उसके भीतर जब | ||
− | औरत | + | औरत लोग कोमल मन की हैं दया है उनकी आदत |
मुझे बचा लेंगी वे उस सज़ा से, जो देगी मुझे | मुझे बचा लेंगी वे उस सज़ा से, जो देगी मुझे | ||
पुरुषों की दुष्ट अदालत | पुरुषों की दुष्ट अदालत | ||
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सुन्दर, कोमलांगी लेखिकाएँ जब गुजरें पास से मेरे | सुन्दर, कोमलांगी लेखिकाएँ जब गुजरें पास से मेरे | ||
मेरे प्राण खींच लेते हैं उनकी स्कर्टों के घेरे | मेरे प्राण खींच लेते हैं उनकी स्कर्टों के घेरे | ||
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10:52, 13 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
मेरे जीवन में आईं हैं औरतें कितनी
गिना नहीं कभी मैंने
पर हैं वे एक ढेर जितनी
अपने लगावों का मैंने
कभी कोई हिसाब नहीं रक्खा
पर चिड़ी से लेकर हुक्म तक की बेगमों को परखा
खेलती रहीं वे खुलकर मुझसे उत्तेजना के साथ
और भला क्या रखा था
दुनिया के इस सबसे अविश्वसनीय
बादशाह के पास
समरकन्द में बोला मुझ से एक उज़्बेक-
"औरत लोग होती हैं आदमी नेक"
औरत लोगो के बारे में मैंने अब तक जो लिखी कविताएँ
एक संग्रह पूरा हो गया और वे सबको भाएँ
मैंने अब तक जो लिखा है और लिखा है जैसा
औरत लोगों ने माँ और पत्नी बन
लिख डाला सब वैसा
पुरुष हो सकता है अच्छा पिता सिर्फ़ तब
माँ जैसा कुछ होता है उसके भीतर जब
औरत लोग कोमल मन की हैं दया है उनकी आदत
मुझे बचा लेंगी वे उस सज़ा से, जो देगी मुझे
पुरुषों की दुष्ट अदालत
मेरी गुरनियाँ, मेरी टीचर, औरत लोग हैं मेरी ईश्वर
पृथ्वी लगा रही है देखो, उनकी जूतियों के चक्कर
मैं जो कवि बना हूँ आज, कवियों का यह पूरा समाज
सब उन्हीं की कृपा है
औरत लोगों ने जो कहा, कुछ भी नहीं वृथा है
सुन्दर, कोमलांगी लेखिकाएँ जब गुजरें पास से मेरे
मेरे प्राण खींच लेते हैं उनकी स्कर्टों के घेरे
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय