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23:12, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जो चीज हममें
कामन थी
वो था हमारा भोलापन
और बढता गया वह
हर मुलाकात के बाद
पर दुनिया हमेशा की तरह
केवल सख्‍तजां लोगों के लिए
सहज थी
सो हमारा सांस लेना भी
कठिन होता गया

और अब हम हैं

मिलते हैं तो गले लग रोते हैं
अपना आपा खोते हैं
फिर मुस्‍कुराते हंसते
और विदा होते हैं