अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा }} <poem> किरणों के फावड़ों से ...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | |||
किरणों के फावड़ों से | किरणों के फावड़ों से | ||
सूर्य ने | सूर्य ने | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 11: | ||
रात उतरी | रात उतरी | ||
− | मेढ़ से | + | मेढ़ से और |
चाँद तारे | चाँद तारे | ||
बो गई. | बो गई. | ||
</poem> | </poem> |
16:28, 27 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
किरणों के फावड़ों से
सूर्य ने
सारी खुदाई
खोद डाली.
रात उतरी
मेढ़ से और
चाँद तारे
बो गई.