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− | + | संपदा त्रिलोक की न अब चाहिये मुझे, | |
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सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे । | सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे । | ||
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शुभ्र उत्तरीय से दुलार दे ओ शारदे । | शुभ्र उत्तरीय से दुलार दे ओ शारदे । | ||
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चेतना सदा ही रहे तेरी साधना की मातु | चेतना सदा ही रहे तेरी साधना की मातु | ||
भावना दे, ज्ञान दे, विचार दे ओ शारदे । | भावना दे, ज्ञान दे, विचार दे ओ शारदे । | ||
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मोरपंख वाली लेखनी का कर शीश धर, | मोरपंख वाली लेखनी का कर शीश धर, | ||
तार-तार वीणा झनकार दे ओ शारदे । | तार-तार वीणा झनकार दे ओ शारदे । | ||
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20:59, 26 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
संपदा त्रिलोक की न अब चाहिये मुझे,
सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे ।
रोम-रोम मातृ-ऋण भार से विनत-नत,
शुभ्र उत्तरीय से दुलार दे ओ शारदे ।
चेतना सदा ही रहे तेरी साधना की मातु
भावना दे, ज्ञान दे, विचार दे ओ शारदे ।
मोरपंख वाली लेखनी का कर शीश धर,
तार-तार वीणा झनकार दे ओ शारदे ।