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01:16, 28 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
एक
अरे वाह तो बूढ़ा हो गया है
वह जो चला आ रहा है
छड़ी के सहारे
खाँसता हुआ
वह जो अपनी गर्दन अकड़ाए
चला करता था ज़ुल्फें लहराए
हरा-भरा
अब मुरझाने के करीब है
वह जो पैदल चलने के लिए
ललकारा करता था हमें
हाँफता हुआ
दौड़ते बच्चों को देख रहा है
पुरानी चाल से
और वह वक्त को
टटोल रहा है छड़ी के सहारे।
दो
वह जो हमेशा वक्त के आगे भागता रहा
जो रखता था उसे मुट्ठी में कैद
वह वक्त
अब धीरे-धीरे रेत बन
फिसल रहा है
उसकी मुट्ठियों में वह जान नहीं है
कि सहेज सके
उसे पहले की तरह।
तीन
वह जो था पूरा नास्तिक
मानता था भगवान को आउटडेटेड
बढ़ा जा रहा है अब मन्दिर की ओर
पोते को साथ लिये।