भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पूर्वाग्रह / आरागों" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लुई आरागों }} <poem> '''पूर्वाग्रह''' मैं चमत्कारों के...) |
|||
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=लुई आरागों | |रचनाकार=लुई आरागों | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
− | |||
− | |||
मैं चमत्कारों के बीच नाचता हूँ | मैं चमत्कारों के बीच नाचता हूँ | ||
हज़ारों सूर्य रंगते हैं आकाश | हज़ारों सूर्य रंगते हैं आकाश | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 10: | ||
अपनी निगाहों से मुझे देते हैं आकार | अपनी निगाहों से मुझे देते हैं आकार | ||
राहों पर जैसे रोया हो तेल | राहों पर जैसे रोया हो तेल | ||
− | सायबान के बाद से खोया है | + | सायबान के बाद से खोया है ख़ून |
ऐसे में कूदता हूँ एक दिन से दूसरे तक | ऐसे में कूदता हूँ एक दिन से दूसरे तक | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 19: | ||
और आगे दौड़ने का आनन्दमयी संकट | और आगे दौड़ने का आनन्दमयी संकट | ||
− | मैं | + | मैं जलूंगा रोशनी की आग से |
+ | |||
+ | '''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी | ||
</poem> | </poem> | ||
− | |||
− | |||
− |
16:21, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
मैं चमत्कारों के बीच नाचता हूँ
हज़ारों सूर्य रंगते हैं आकाश
हज़ार दोस्त, हज़ार आँखें या एक चश्म
अपनी निगाहों से मुझे देते हैं आकार
राहों पर जैसे रोया हो तेल
सायबान के बाद से खोया है ख़ून
ऐसे में कूदता हूँ एक दिन से दूसरे तक
बहुरंगी गोल और खूबसूरत
जैसे धनुष का जाल हो या रंगों की आग
जब लौ का रंग है हवा सा
जीवन ओ! शांत स्वचलित वाहन
और आगे दौड़ने का आनन्दमयी संकट
मैं जलूंगा रोशनी की आग से
मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी